कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लोगो का एक जगह से दूसरी जगह आना जाना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभाव उन लोगो पर पड़ा है जिनके पास संसाधनों की कमी है। लोग अपनी कर्मभूमि छोड़ने पर मजबूर है, एवं घर की ओर प्रस्थान कर रहे है। इस बीच हमारे समक्ष एक ऐसा उदाहरण आता है, जिमसे एक बेटी अपने पिता को साइकिल पर बिठा कर 1200 कि.मी की यात्रा तय करती है।
हम बात कर रहे है, 15 वर्षीया, आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की ज्योति कुमारी की, जिन्होंने गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा तक साइकिल से यह रास्ता तय किया वह भी अपने पिता को बिठा कर, सिर्फ 7 दिनों में। लॉकडाउन के दौरान ज्योति के पिता मोहन पासवान किसी दुर्घटना में घायल हो गए थे, जिसके कारण वह स्वयं घर जाने की स्थिति में नहीं थे। इस पर उनकी बेटी ने रोजाना तकरीबन 100 से 150 किमी, अपने पिता को पीछे बिठा कर, साइकिल चला कर घर पहुंची। जिसने भी इस लड़की के बारे में पढ़ा वह हैरान रह गया।
ज्योति को साइकिलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से ऑफ़र भी आया है। ज्योति को ट्रायल के लिये आंमत्रित किया गया है। सीएफआई के निदेशक ओंकार सिंह का कहना है कि इतनी कम उम्र में इस लड़की का कार्य सराहनीय है। किसी भी इंसान के लिए 100-150 किमी साइकिल चलाना आसान नहीं है, यह सचमुच असाधारण है। ओंकार सिंह ने ज्योति से स्वयं फ़ोन पर बात करके उन्हें कोरोना वायरस की स्थिति सामन्य होने के पश्चात मिलने व ट्रायल के लिए बुलाने का वादा किया।
लॉकडाउन था, सो अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा ले गई बेटी…
वीडियो: मोहन भारद्वाज और सीटू तिवारी pic.twitter.com/Mc7hkmyB4O— BBC News Hindi (@BBCHindi) May 19, 2020
ओंकार सिंह बताते है कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है, एवं प्रतिभाशाली युवाओं को आगे बढ़ाना भी चाहता है और अगर ज्योति में वह क्षमता है तो उसकी पूर्ण रूप से मदद की जाएगी, उनके रहने व खाने पीने का खर्च भी फेडरेशन ही उठाएगा। अगर ज्योति ट्रायल पास करती है, तो उन्हें आई.जी.आई स्टेडियम परिसर में अत्याधुनिक नेशनल साइकिलिंग अकादमी प्रशिक्षु के तौर पर चुना जायेगा।
ज्योति भी इस ट्रायल के लिए काफी उत्साहित है।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी और व्हाइट हाउस की वरिष्ठ सलाहकार इवांका ट्रम्प ने भी ट्विटर के ज़रिये ज्योति की तारीफ की। उन्होंने लिखा कि –
“15 साल की ज्योति कुमारी ने अपने घायल पिता को 7 दिनों तक साइकिल के पीछे बिठाकर 1,200+ किलोमीटर की दूरी तय करके अपने घर ले गई। धीरज और प्रेम के इस खूबसूरत कारनामे ने भारतीय लोगों और साइकिल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। “
सही मायनो में यह कार्य अतुलनीय व साहसी है। यह साबित करता है की इंसान कि क्षमता उसकी सोच से कहीं अधिक है।
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