तनाव, मन को इस तरह से जकड़ लेता है कि इंसान जीवन की कठिनाइयों से निकलने के उपाय तक सोच नहीं पाता। तनाव से बचने के लिए मन को शांत रखने की आवश्यकता होती है, ताकि मनुष्य उस तनाव का कारण जान उसे अपने जीवन से हटा सके, और शांति पाने का सबसे उपयुक्त तरीका है एकाग्रचित होकर ध्यान लगाया जाए। तनाव से मन सदैव ही व्यथित रहता है।
आज इस ही विषय पर एक लोककथा पढ़ते है
एक समय की बात है, एक राजा अपने राज्य की समस्याओं से काफी व्यथित व परेशान था। वह सदैव ही तनाव में रहता था, जीवन और राज्य की परेशनियो का हल उन्हें मिल ही नहीं पा रहा था। तनाव ने उनके विचारने की शक्ति हर ली थी। एक दिन राजा के मन में आया कि शायद प्रकृति के बीच, इस नगर की कोलाहल से दूर शायद उन्हें शांति का अनुभव हो, इसलिए वह वन की ओर चल दिए।
राजा वन में भ्रमण कर ही रहे थे, कि उन्हें बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनाई दी। बांसुरी की ध्वनि से उनके मन को कुछ शांति का आभास हुआ, इसलिए वह उस दिशा में चल दिए। वहां जा कर उन्होंने देखा की एक ग्वाला बांसुरी बजा रहा है। वह युवक काफी खुश और प्रसन्न नज़र आ रहा था , बगल में ही उसकी गाय घास चर रही थी।
राजा को देखकर वह युवक उनके पास आया और उन्हें प्रणाम किया। राजा ने युवक से कहा ” तुम बड़े ही प्रसन्न नज़र आ रहे हो मानो कही का राज पाठ मिल गया हो।”
युवक ने राजा से कहा कि ” मेरे पास साम्राज्य तो नहीं है लेकिन, राजा तो में स्वयं भी हूँ, अपने मन का, इच्छाओं का, स्वतंत्रता का।”
राजा कहते है- ” लेकिन राजा तो साम्राज्य मिलने से ही बना जा सकता है।”
युवक उत्तर देता है- “साम्राज्य मिलने से व्यक्ति राजा नहीं सेवक बनता है, उसके कर्त्तव्य प्रजा की सेवा करना होता है। उसे प्रजा के पालन करने का दायित्व मिलता है।”
युवक आगे कहता है कि “यह सब धन सम्पति, बड़े – बड़े महल, सुविधाएं, साम्राज्य मिलने से सुख भी मिल जाये यह अनिवार्य नहीं। सुख स्वतंत्रता से मिलता है, मन व विचारो की स्वतंत्रता से। जब तक तनाव रहता है तब तक शांति मिलना असंभव है। मन से विचारो की मुक्ति के बाद ही, चिंताओं से मुक्ति मिल सकती है। ”
सीख
राजा ने आज एक महत्वपूर्ण ज्ञान अर्जित किया था, वह समझ गया था कि शांति उन्ही को नसीब होती है जो व्यर्थ विचारो में नहीं उलझते।
युवक से प्रभावित होकर राजा ने उसे मंत्री पद प्रदान करने का आश्वासन भी दिया। payday loan