आज के समय की बड़ी बिडम्बना है, कोई-कोई तो पढ़ लिख कर एक नौकरी भी नहीं पा पाता और कुछ पारिवारिक कारणों के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी न करके भी कई लोगो को रोजगार दे देते हैं। ऐसे ही हमारे देश के असीम प्रतिभा के धनी अजीम प्रेमजी हैं। जिनकी कहानी साफ बयां करती है कि महज डिग्री पा लेना ही आपको नौकरी के काबिल नहीं बना देता। अगर आप में हुनर है और किसी कारण वश आप अपनी पढ़ाई नहीं कर पाये तो मायूस न हो बल्कि अपने सामर्थ्य को पहचान कर दूसरों के लिए पथ का निर्माण करें।
सफलता की राह का अनुसरण तो कई सारे लोग करते हैं पर सफलता के लिए पथ का निर्माण कुछ ही लोग करते हैं। इस पथ के निर्माण में डिग्री से ज्यादा जरूरी है मेहनत, लगन और रिस्क लेने की हिम्मत। तो आईए हम अजीम प्रेमजी के जीवन के कुछ पहलुओं पर चर्चा करते हैं कि कैसे उन्होने भारत में आईटी (IT) कंम्पनी की शुरूआत की और इसे नं 1 कीर्तिमान पर पहुंचाया।
विप्रो की शुरूआत अजीम प्रेमजी के पिताजी मोहम्मद प्रेमजी ने 29 दिसंबर 1945 में महाराष्ट्र में ” वेस्टर्न इंडिया पाल्म रिफाइंड ऑयल लिमिटेड” के नाम से बेजीटेबल ऑयल और रिफाइंड ऑयल की मैन्युफैक्चरिंग के उद्देश्य से की थी। जब अजीम प्रेमजी मात्र 21 बर्ष के थे तब इनके पिताजी का देहान्त हो गया। तब प्रेमजी स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। पिताजी के देहान्त के बाद पढ़ाई छोड़कर इन्होने रिश्तेदारों के द्वारा किसी नौकरी करने को कहने के बावजूद कंम्पनी को संभालने का दायित्व लिया। इन्होंने कंम्पनी में बेजीटेबल ऑयल की मैन्युफैक्चरिंग के साथ विभिन्न प्रकार के प्रोडक्टस जैसे बेकरी फैट्स, हेयर केयर साबुन और कई प्रकार के टोईलेटरीस का प्रोडक्शन शुरू किया।
अजीम प्रेमजी ने आई टी सेक्टर की भविष्य में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए पिता द्वारा शुरू बेजीटेबल ऑयल और रिफाइंड ऑयल प्रोडक्शन के साथ साफ्टवेयर का काम शुरू किया और तब से 4 दशक तक आई टी की कमाल संभाल कर भारत में आईटी सेक्टर को नई पहचान दी। प्रेमजी ने कंम्पनी का नाम विप्रो रखकर हाई टेक्नोलॉजी सेक्टर में मिनी कम्प्यूटर की मैन्युफैक्चरिंग सेनीटल कम्पनी के साथ कोलाबोरेशन कर शुरू की। इसके साथ ही उन्होंने अपना पूरा ध्यान साबुन की जगह साफ्टवेयर को देने का निश्चय किया।
विप्रो लिमिटेड एक मल्टीनेशनल कार्पोरेशन है जो इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी, कन्सलटिंग और बिज़नेस प्रोसेस सम्बधी सर्विसेज प्रदान करती है। इसका हेडक्वाटर बैंगलोर कर्नाटक में है। 2013 में विप्रो ने अपनी नॉन आई टी बिजनेस को अलग कर विप्रो इंटरप्राइजेज में स्थापित किया।
2020 में कुल 1,75,000 कर्मचारियों के साथ अजीम प्रेमजी के अधीन विप्रो का रिवेन्यू US$ 8.9 बिलियन डालर है जिसमें अजीम प्रेमजी के शेयर का हिस्सा 73.85% है।
प्रेमजी एक फोकस्ड बिजनेस मैन हैं और इन्होंने अपने फोकस एवं हार्ड वर्क से भारत में सोफ्टवेयर सेक्टर को एक नयी पहचान दी। अजीम प्रेमजी को कई सारी उपाधियों से नवाजा गया है जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं।
- 2005 में ट्रेड और कोमर्स के क्षेत्र में असीमित कार्य के लिए भारत सरकार ने पदम भूषण से सम्मानित किया।
- 2011 में द्वितीय सबसे बड़े नागरिक अवार्ड पदम विभूषण से सम्मानित किया गया।
- 2017 में इंडिया मैगजीन ने 50 मोस्ट पावर फुल लोगों की सूची में अजीम प्रेमजी को 9वें स्थान से नवाजा।
अजीम प्रेमजी ने जिस तरह अपनी मेहनत से भारत में सोफ्टवेयर सेक्टर को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाया, उसी तरह इनका झुकाव फिलानथ्रोपी (लोकोपकार) द्वारा गरीबो के जीवन को विकास की ओर अग्रसर करना है। प्रेमजी कहते हैं कि अमीर होना इन्हें रोमांचित नहीं करता, इस प्रकार इन्होने लोकोपकार में भी अपनी रूची जाहिर की है। ये वारैंन वफैट एवं बिल गेट्स द्वारा प्रचारित “द गिविंग प्लेज” को साइन करने वाले पहले भारतीय हैं। यही नहीं इन्होंने अप्रैल 2013 में अपनी वेल्थ का 25% को एक चैरिटी में दान किया। जुलाई 2015 में विप्रो के 18% स्टेक को दान करने के साथ प्रेमजी अपनी निजी संम्पत्ति कुल 39% लोकोपकार में दान कर चुके हैं। अपने जीवन में अभी तक कुल US$ 21 बिलियन (रू 75,45,75,00,000.00 ) को दान कर चुकें हैं। 2000 में प्रेमजी द्वारा शुरू किये इस चैरिटेबल फाउंडेशन “अजीम प्रेमजी फाउंडेशन” आज भारत में लगभग 2,00,000 पब्लिक स्कूलों में टीचर्स को प्रशिक्षित करने और कर्रीकुलम को बेहतर बनाने के साथ शिक्षा में सभी संभावित सुधारों में लगा है। अजीम प्रेमजी शिक्षा की ताकत बहुत अच्छे से जानते हैं। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है।
अजीम प्रेमजी द्वारा लोकोपकार के लिए किये गये दान की गाथा यहीं खत्म नहीं होती, प्रेमजी ठीक ही कहते हैं कि –
जो लोग पर्याप्त धन कमाने के लिए भाग्यशाली हैं उनको निश्चय ही उन लोगो को दान देकर मदद करनी चाहिए जो कि जो किसी कारण वश भाग्यशाली नहीं हैं हमारी तरह। और इसी तरह हमारे देश भारत को मुश्किल दिनों में ऐसे ही दानवीरों ने मज़बूत कंधों का सहारा दिया। फोर्बस पत्रिका के अनुसार कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए अजीम प्रेम जी ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा 1000 करोड़ रू दान दिए हैं और साथ में फाउंडेशन के 1600 कर्मचारी इस बीमारी से लड़ने के लिए सरकार और स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ काम करेगें।
इसी के साथ सोफ्टवेयर डेवलपर विप्रो लिमीटेड 100 करोड़ रू और इंजीनियरिंग सर्विस कम्पनी विप्रो इंटरप्राइज लिमीटेड ने 25 करोड़ रू दान किये हैं। अत: कुल मिलाकर अजीम प्रेमजी द्वारा स्थापित व संचालित विप्रो, विप्रो की दूसरी शाखाओं और शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत “अजीम प्रेमजी फाउंडेशन” के द्वारा 1125 करोड़ रू इस कोरोना वाइरस से फैली महामारी को खत्म करने के लिए दान किये हैं।
अजीम प्रेमजी ने भारत को सोफ्टवेयर सेक्टर में सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाने में सराहनीय काम किया है। अपने पिताजी द्वारा स्थापित कंम्पनी में सोफ्टवेयर सेक्टर की संभावनाएं भांप कर सोफ्टवेयर सर्विसेज को जोड़ना सोने पर सुहागा साबित हुआ। इन कामयाबियों को पाना और हमारे देश को आईटी हब बनाकार युवाओं को सुरक्षित कैरियर और प्रगति के लिए अवसर प्रदान करने के लिए पूरा भारत प्रेमजी का आभारी है। अपने दोस्तों और रिस्तेदारों में जो भी कोई व्यवसाय या कुछ नया कर हमारे देश, मानव सभ्यता और मानव के जीवन को बेहतर करने की चाह रखता उनसे यह लेख जरूर साझा कीजिए और उन्हे अपने लक्ष्य को पाने के लिए उत्साहित कीजिए। इस लेख पर दृष्टिकोण कंमेंट बाक्स में कंमेट करें। payday loan
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