खच्चरें पाल कर दी गरीबी को मात, 6 बेटियों को भी पढ़ाया और आलीशान घर के हैं मालिक

वह कहते है न कि कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती। आज के इस प्रसंग के बारे में जानेंगे हम सभी, एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जिसने किसी भी कार्य को छोटा नहीं समझा, सफलता की सीढ़िया एक एक करके चढ़ता चला गया। आपन भाग्य उसने स्वयं अपने कठिन परिश्रम से लिखा है।

आज ऐसे व्यक्ति के विषय में बात करेंगे जिसने 16 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया, मज़दूरी की, अपना भविष्य बनाया। यह कहानी है कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के नगरोटा बंगवा के हरवंश कुमार जी की। उन्होंने मात्र 16 साल की काम उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था, वह उस वक़्त खच्चर लादने का काम किया करते थे। हरवंश के घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, घर में रोटी तक के पैसे नहीं थे, ऐसे में पढाई कहाँ से कर पाते, उनके पिता एक गरीब किसान थे। परिवार बड़ा होने की वजह से, और पैसो की कमी के चलते उनकी पढाई छूट गयी थी।

एक-एक सीढ़ी चढ़ कर सफलता तक की यात्रा

शुरुआत में उन्होंने पास में एक मालिक के यहां खच्चर लादने का कार्य शुरू किया। उन्होंने यह काम तकरीबन 12 वर्षो तक किया, कड़े परिश्रम, खून पसीना एक करके 12 वर्ष बाद, उनके पास इतने पैसे जमा हो गए थे की वह स्वयं खच्चर खरीद कर अपना काम शुरू कर सके। इस बीच उन्हें जो पैसे मिलते उनसे वह घर की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयत्न सदैव करते रहे। शुरुआत में उन्होंने 2 खच्चर खरीदे और अपना कारोबार शुरू किया।

इसके बाद उन्होंने रेत- बजरी, मिटटी, पत्थर, बोल्डर और सीमेंट उपलब्ध करवाने का काम शुरू किया। एक अखबार से बात करते वक्त उन्होंने यह तक बतलाया कि उनकी दिनचर्या रात के 2 बजे से शुरू हो जाती है। वह रात भर मेहनत करते है और सुबह 10 बजे कहीं जा कर उनका काम समाप्त होता है। इस पूरे दौर में उनकी पत्नी ने उनकी काफी सहायता की। उनके साथ सपनो की उड़ाने भरी, साथ दिया, बल दिया, कार्य में हाथ बटाया, साहस दिया, विश्वास बंधाया।

अपनी कड़ी मेहनत, लगन और परिवार के साथ मिलने के बाद पीछे मुड़ने का सवाल ही नहीं था। आज वह एक सफल कारोबारी है। उन्होंने पिछले 47 वर्षो में आज तक एक भी अवकाश नहीं लिया। सही मायनो में यही होती है कार्य निष्ठा। उन्होंने गरीबी को मात दे दी है। अपने और अपने परिवारजनों के लिए एक सुनहरे कल का निर्माण किया है। आज उनके पास एक बड़ा घर, कार व स्कूटी भी मौजूद है। इसके अलावा उनके पास अल्ट्राटैक और अम्बूजा सीमेंट की एजेंसी भी है।

हरवंश जी की सात बेटियां है, जिसमे से उन्होंने सबको शिक्षित किया है, क्योंकि उन्हें शिक्षा का महत्व पता था। जीवन भर शिक्षा का अभाव रहा उनके जीवन इसलिए वह अपने बच्चो को इससे वंचित नहीं रख सकते थे। उनकी 6 बेटियों की शादी हो चुकी है। उनका एक बेटा भी है जो की फिलहाल बीएससी कर रहा है और अपने पिता के कारोबार में हाथ भी बटाँ रहा है।

हरवंश जी कहानी एक छोटे पायदान से शुरू हुई थी जो आज काफी ऊँचे स्थान पर है जहां व सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि कोई भी कार्य छोटा नहीं होता और एक एक करके सीढ़ी चढ़ने से एक दिन सफलता ज़रूर प्राप्त होती है। payday loan


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