मैं जब भी बदहजमी, बीमार या पेट में भारीपन महसूस करता हूं तो मेरा प्रिय भोजन खिचड़ी होती है क्योंकि यह पेट पर बोझ नहीं डालती है और आसानी से पच जाती है साथ यह इतनी पौष्टिक और ऊर्जा से भरी होती है कि, इसे पूरे साल खाया जा सकता है और यदि आप दिन में इसके साथ ताजी रोटी, दूध और ताजे फल भी खाते हैं तो आपको आपके शरीर पौष्टिक तत्वों की कमी नहीं होगी। मेरी मां अक्सर कहा करती थी बेटा खिचड़ी तो बीमार लोग खाते हैं लेकिन जब से मैंने उन्हें खिचड़ी खिलाई वे भी इसकी फैन हो गयी हैं।
एक पुरानी किंवदंती है जिसमें कहा गया है कि, बहुत समय पहले दुनिया में बहुत बड़ी भुखमरी फैली थी और कई लोग भोजन की कमी से मारे गये थे। हर दिन उन्हें बस थोड़ा सा अनाज मिलता था और उसी में गुजारा करना पड़ता था। प्रत्येक दिन देवी अन्नपूर्णा धरती पर आती और मुट्ठी भर चावल और दाल जमा करती। वह बस इतनी ही मात्रा से अपने पूरे परिवार की भूख मिटा देती थी।
ना तो उनके पति शिव, और ना ही उनके दोनों बेटे गणेश और सुप्रणन्य भूखे रहते। किंवदंती कहती है कि इसी तरह अन्नपूर्णा ने खिचड़ी की रेसिपि की खोज की थी। अन्नपूर्णा को ब्रह्मांड की मां भी कहा जाता है। थोड़े ही मात्रा वह पूरे ब्रह्मांड का पोषण और गुजारा करने में सक्षम है। इसीलिए अन्नपूर्णा, को पार्वती कहा जाता है, जिनकी पूरे भारत में पूजा की जाती है।
खिचड़ी “अन्नपूर्णा माता”
वर्तमान भारत में खिचड़ी केवल बीमार लोगों का भोजन माना जाता है या गरीब लोग ही इसका सेवन करते हैं लेकिन आयुर्वेद में इसे एक संपूर्ण भोजन माना गया है। खिचड़ी बनाने की विधि हर गृहणी को आती है लेकिन इसमें प्रयोग करते हुए इसे और भी ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।
तैयारी का समय – 50 मिनट्स वा+ पि-क-
2 व्यक्तियों के लिए सामग्रियां
- आधा कप लाल दाल या छिलके वाली मूंग दाल
- 1 कप बासमती चावल
- आधा कप फूलगोभी छोटे-छोटे टुकड़ों में कटी हुई
- आधा कप चोकोर कटे गाजर
- 2 छोटो, चोकोर कटे आलू
- 4 कप पानी
- 3 चम्मच घी
- आधा बारीक कटी, मध्यम तीखी लाल मिर्च
- आधा चम्मच बारीक कटा अदरक
- चौथाई चम्मच भूरी सरसों के दाने
- चौथाई चम्मच कलौंजी
- चौथाई चम्मच साबुत जीरा
- चौथाई चम्मच धनिया
- 2 चुटकी जायफल
- 3 चुटकी हींग
- 1 चम्मच कटा हुआ स्मूद पार्सले नमक,
- 1 चुटकी सेंधा नमक, ब्राउन शुगर
सलाह 1: ताजी चपाती या पूरियां इस भोजन के साथ बढ़िया रहती हैं। एक कप नारियल की लस्सी के साथ या लजीज और पौष्टिक खाना बन जाता है।
सलाह 2: केवल छिलके वाली मूंग दाल इस्तेमाल करें। हरी, बगैर छिलके वाली मूंग पकने में लंबा समय लेती है।
बनाने की विधि
एक गहने बर्तन में घी गर्म करें और सरसों के दानों को “तड़कने” तक भूनें। आंच कम कर दें, और कटी हुई मिर्च, अदरक डालें, उसके बाद बाकी के मसाले और मुट्ठी भर कटी हुई सब्जियां डालें।
अब साफ की गयी मूंग और लाल मलका दाल डालें और लगभग 3 मिनट्स तक मध्यम आंच पर पका लें। आखिर में बाकी की सब्जियां और चार कप पानी डालें। आधा चम्मच नमक, चुटकी भर सेंधा नमक, फ्लेवर के लिए। चम्मच शक्कर डालें। बर्तन का ढक्कन लगायें, मध्यम आंच पर, तैयार होने तक पकायें। हर 5 मिनट्स में घुमाते रहें और, यदि जरुरी हो तो, और पानी मिलाते रहें।
20 मिनट्स पकाने के बाद, बासमती चावल और एक कप गर्म पानी डालें और अच्छी तरह से घुमा लें। मध्यम आंच पर दाल और चावल के तैयार होने तक पकायें (यानि 15 मिनट्स तक)।
दोपहर के खाने में परोसते समय, आप 1-2 चम्मच दही डाल सकते हैं। शाम के समय खट्टे दूध वाले प्रोडक्ट्स इस्तेमाल न करें। खाने को चम्मच से घुमायें और ताजी कटी हुई धनिया की पत्तियां डालें।
अनेक जगहों पर आप इन शब्दों को पायेंगे: V, P, K। इनका पूरा विवरण नीचे दिया गया है।
V= वात, P = पित्त, K = कफ।
यदि किसी रेसिपि के सामने V- P+ K-लिखा है तो इसका अर्थ है, वात को घटाता है, पित्त को बढ़ाता है और कफ को घटाता है। (-) का अर्थ है घटाना और (+) का अर्थ बढ़ाना। займ на карту без отказов круглосуточно