पुस्तक: मुसाफिर कैफ़े
लेखक:दिव्य प्रकाश दुबे
प्रकाशन: हिंदी युग्म और वेस्टलैंड लिमिटेड
पुस्तक समीक्षा: मुसाफिर कैफ़े
पुस्तक मुसाफिर कैफ़े के लेखक दिव्य प्रकाश दुबे हैं. यह प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं. दिव्य प्रकाश दुबे ने कई और प्रसिद्ध उपन्यास भी लिखे हैं जैसे मसाला चाय और टर्म्स एंड कंडीशन इत्यादि लेखक के उपन्यास में वही पात्र देखने को मिलते हैं जो धर्मवीर भारती के उपन्यास गुनाहों के देवता के मुख्य पात्र थे लेकिन यह पात्र आज के जमाने के हैं.
पुस्तक मुसाफिर कैफ़े के मुख्य पात्रों में एक लड़की है जिसका नाम सुधा है जो शादी करने से मना करती हैं, वही एक लड़का है चंदर वह भी शादी करने से दूर भागता है वह दोनों ही शादी के फैसले को लेकर थोड़ा असमंजस में है.इस कहानी की शुरुआत मुंबई के काॅफी हाउस से होती है यह कहानी मसूरी के मुसाफिर कैफ़े तक का सफर तय करती है. यह कहानी बहुत ही रोचक है जब आप इसे एक बार पढ़ना शुरू करेंगे तो इससे खत्म करके ही उठेंगे.
यह कहानी अर्बन अंदाज में लिखी गई है. इस कहानी में आज की पीढ़ी के लिए जो प्यार और शादी के मायने हैं उसे दर्शाया गया है .कई जगह कई बातें काफी समझने वाली है जिनसे आपको कुछ सीखने को मिलेगा. कहानी का नायक चंदर कुछ कमाल की बातें कहता है जिसे समझना काफी दिलचस्प है जैसे “लाइफ के प्लांट सिंपल होने चाहिए, ज्यादा बड़े प्लान हो जाए तो लाइफ सफर करती है, जिंदगी केवल उन्हीं के नसीब में होती है जो उसे ढूंढते हैं” ऐसी कई बातें हैं जिन्हें पढ़कर आपको मजा आएगा और कुछ ना कुछ सीखने व समझने को मिलेगा.
लेखक ने जिस तरह कहानी लोगों तक पहुंचाई है वह तरीका सबसे अलग है. एक से एक बढ़िया डायलॉग हैं संजीदा बातों को भी डायलॉग के जरिए आसानी से पूरा किया गया है. कहीं ना कहीं जबरदस्ती कहानी बढ़ाने या बनाने की कोशिश नहीं की गई. शुरू में कहानी काफी रोचक है मध्य में आते-आते कहीं ना कहीं आप बोर होने लगते हैं लेकिन अंत में फिर कहानी रोचक हो जाती है. उपन्यास का दूसरा हिस्सा अत्यधिक रोचक है जहां चंदर अपने पागलपन को ढूंढने के लिए घर छोड़ देता है.
किताब का अंत हैप्पी एंडिंग है आपको ऐसा लग सकता है कि आप एक फिल्म देख रहे हैं जिसकी एंडिंग हैप्पी है.किताब के सभी किरदारों एक से एक हैं जैसे सुधा,चंदर और पम्मी इत्यादि कहानी में ठहराव की कमी थी तो इमोशंस की भरमार है पाठक इसमें खो जाता है इस कहानी का अंत सुखद है कहानी काफी मजेदार है.
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