पुस्तक: डब्बू
लेखिका :अनुजा चौहान
अनुवाद:मनीषा तनेजा
प्रकाशन: वेस्टलैंड लिमिटेड
पुस्तक समीक्षा: डब्बू
पुस्तक डब्बू की लेखिका का नाम अनुजा चौहान है. इसका अनुवाद मनीषा तनेजा द्वारा किया गया है.लेखिका ने इस कहानी में रिटायर्ड जज लक्ष्मी नारायण ठाकुर और उसकी बेटी डब्बू का अधिक वर्णन क्या है. पुस्तक का शीर्षक भी डब्बू के नाम पर ही रखा गया है. जस्टिस लक्ष्मी नारायण ठाकुर की पांच बेटियां हैं. उन्होंने अपनी पांच बेटियों के नाम शुरुआती अल्फाबेट के अक्षरों से रखा है जैसे सबसे बड़ी बेटी का नाम ए से अंजनी,उससे छोटी का बी से बिनोदिनी,सी से चंद्रलेखा, डी से देबजानी और इ से ईश्वरी. जज साहब को अपनी तीन चीजों से बेहद लगाव था: पहली चीज अपने बंगले का सुंदर गार्डन दूसरा दोस्तों के साथ खेले जाने वाला ताश और अपनी चौथी बेटी देबजानी जिसे सब प्यार से डब्बू कहकर पुकारते थे.डब्बू इस उपन्यास की नायिका है.
डब्बू बहुत ही सरल सी लड़की है. उसे लड़कों से कोई लगाव नहीं है बल्कि उसे लड़कों से ज्यादा सड़क के कुत्तों से लगाव है. उसे हर किसी से हमदर्दी है वह दूसरों के दुखों को अपना समझ लेती है. उसका दिल जीतना या उसे प्रभावित करना थोड़ा मुश्किल काम है और उससे बिल्कुल उलट उसकी छोटी बहन ईश्वरी है . वह लड़कों व उनके तरीकों को भलीभांति जानती है .वह अभी स्कूल में ही है परंतु डब्बू से अधिक लड़कों को पहचानती है. डब्बू एक सरकारी न्यूज़ चैनल में न्यूज़ एंकर के तौर पर काम कर रही है और अब वह काफी प्रसिद्ध व चर्चित भी हो चुकी है.
इस कहानी के नायक का नाम डिलन सिंह शेखावत है. वह इंडिया पोस्ट नाम के एक अखबार में खोजी पत्रकार के तौर पर काम कर रहा है. डिलन देबजानी व सरकारी चैनल पर सरकार परस्ती का आरोप लगाते लगाते वह जाने कब देबजानी की ओर आकर्षित हो जाता है. मजे की बात तो यह है कि डिलन डब्बू के पिता जस्टिस ठाकुर के दोस्त साहस का बेटा है.साहस के परिवार ने क्रिश्चियन धर्म को अपना रखा है. आप सब जानते हैं कि हर प्रेम कहानी के अंत में हीरो-हीरोइन का मिलन होता है लेकिन इस बीच में कई अटकलें आती है. कहानी उस समय की है जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के हुए दंगे चरमोत्कर्ष पर थे. उस समय पूर्वी दिल्ली में अधिक दंगे चल रहे थे डीलन उन दंगों के पीछे के लोगों को एक्सपॉज करना चाहता था इसके चलते उसे जेल भी जाना पड़ा.
यह रोमांटिक कॉमेडी काफी मजेदार है. उपन्यास के सभी किरदार मजेदार है जैसे डब्बू की बड़ी बहन उसकी चाची सभी किरदार काफी अच्छे हैं. इसमें लोगों का नाराज होना फिर मनाना उपन्यास का काफी दिलचस्प हिस्सा है. उपन्यास काफी कॉमेडी है कई जगह आप हंसी से लोट-पोट होने लगेंगे. उपन्यास बिल्कुल भी बोरिंग नहीं है. इसका अनुवाद भी काफी अच्छा है.