सिनेमा….. अगर तुम ना होते तो ना जाने कितने बनने से बच जाते…. और ना जाने कितने मरने से! जी हां जो लाइन लिखी एकदम सटीक लिखी है। सिनेमा ने ना जाने कितनों को आसमान की ऊंचाइयों को छूने का अवसर दिया तो ना जाने कितनों को बादल की परछाइयों के तले दबा दिया। बॉलीवुड में जाना आसान नहीं होता। बॉलीवुड में वही लोग जा पाते हैं जिसके माता पिता बॉलीवुड से ताल्लुक रखते हो या जो संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता हो। लेकिन कुछ गिने-चुने देसी सितारे इस लाइन को खारिज कर देते हैं और गांव की जमीन से उठकर बॉलीवुड तक का सफर तय कर लेते हैं।
बिहार के एक किसान का लड़का जो कभी खेतों में पिता के साथ हाथ बटाया करता था और 12वीं के बाद मेडिकल की पढ़ाई करने पटना आया, लेकिन मन नहीं लगा तो पढ़ाई छोड़ दिया, क्योंकि तब तक उस लड़के को सिनेमा से मोहब्बत हो गई थी। जब किसी को सिनेमा से मोहब्बत हो जाती है तो सिनेमा भी उसे अपनी तरफ खींचने लगता है। बिहार के इस लड़के को भी सिनेमा अपनी तरफ आकर्षित करने लगा। इस लड़के का नाम नहीं जानेंगे आप! चलिए बताता हूं! शायद जितना मैंने ऊपर लिखा उससे आप यह पहचान गए होंगे कि मैं किसके बारे में बात कर रहा हूं। जी हां आप सही सोच रहे हैं, मैं पंकज त्रिपाठी के बारे में बात कर रहा हूं। यही है वह किसान का लड़का जिसने गांव कभी गांव के खेतों की नालियां बनाई थी और आज बॉलीवुड में अपने अभिनय के दम पर एक्टिंग की नई परिभाषा लिख रहा है।
यह लड़का यानी पंकज त्रिपाठी बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गांव बेलसंड से तालुकात रखता है। पंकज त्रिपाठी के पिता एक गरीब और सीमांत किसान थे। किसानी के दम पर ही परिवार का पूरा खर्च चलता था। पिता की चाहत थी कि मेरा बेटा डॉक्टर बने। 12वीं के बाद पंकज डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए पटना भी गए थे। लेकिन पटना में उनकी किसी से नहीं पटी और उन्होंने पटना छोड़ दिया। जब पिताजी से अभिनय के बारे में बताया तो पिताजी ने कहा अपना गुजारा कर लोगे कि नहीं।
आलू, गेहूं, चना की खेती करने वाला गरीब किसान का लड़का पटना में मेडिकल की पढ़ाई करने गया था। लेकिन सिनेमा ने उसको आकर्षित कर लिया था और उसने पटना को अलविदा कह दिया। पंकज त्रिपाठी नाम का यह लड़का अब दिल्ली की चौखट पर खड़ा हुआ। मेडिकल की पढ़ाई छोड़ने के बाद पंकज त्रिपाठी ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया और एक्टिंग की बारीकियां सीखी। दिल्ली के बाद अब मुंबई का सफर था। लेकिन पंकज तो बिहार के एक साधारण से किसान के बेटे थे। उनके लिए बॉलीवुड में प्रवेश पाना मुश्किल था। पंकज अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताते हुए कहते हैं- “ईश्वर ही हर एक चीज के निमार्ता हैं। मेरे रेफरेंस (जान-पहचान) का कोई नहीं था और मैं किसी को जानता तक नहीं था। कुछ असफलताओं के हाथ लगने के बाद मैंने महसूस किया कि आगे जाके रेफरेंस का सत्यापन कोई नहीं करता। यह महज एक औपचारिकता है, जिस पर लोग काफी लंबे समय से आश्रित रहे हैं। मैंने ईश्वर का नाम लेने का फैसला किया और ताज्जुब की बात तो यह है कि मुझे किरदार मिलने लगे!”
पंकज अपने संघर्ष के दिनों को याद करके कहते हैं “यह कई साल पहले की बात है, जब मैं लोगों की नजर में नहीं आया था, लेकिन उस वक्त तक मैं कुछेक यादगार दृश्यों को फिल्मा चुका था। मैं आज भी इस बात को मानता हूं कि ईश्वर की वजह से ही मुझे इस इंडस्ट्री में पहचान मिली है। फिल्मी दुनिया में दूर-दूर तक मेरा कोई जानने वाला नहीं था, लेकिन दरवाजे मेरे लिए खुलते गए जैसे कि कुदरत इस चीज के लिए योजना रच रही हो।”
पंकज ने हार नहीं मानी और 2004 में उन्हें ‘रन’ फिल्म में चाय वाले का एक छोटा सा किरदार मिला। और वहीं से शुरु हो गया पंकज त्रिपाठी का सिनेमा सफर। और आज पंकज की एक्टिंग के दीवानों की कमी नहीं है। सफर कितना भी लंबा हो लेकिन जवाब को सफलता मिलती है तो उसका स्वाद चखने में बड़ा मजा आता है। लेकिन अपनी मंजिल को पाने के लिए आप में पंकज त्रिपाठी जैसी ललक होनी चाहिए।
पंकज त्रिपाठी की गैंग ऑफ वासेपुर, माझी, निल बटे सन्नाटा, ओमकारा, मसान, फुकरे, गुंडे, अनारकली, आरावाली जैसी फिल्मों ने पंकज त्रिपाठी को एक अलग पहचान दी है। सिनेमा का दूसरा नाम पंकज त्रिपाठी कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि उनके अभिनय में वास्तविकता होती है, कि उनके नाम से पहचानने वाला दर्शक भी उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो जाता है।
न्यूटन और फुकरे जैसी फिल्मों ने पंकज को रातों-रात स्टार बना दिया। फिल्मों में पंकज त्रिपाठी ने जिस प्रकार की एक्टिंग की है सच में वह सराहने योग्य है। अभी तक तो पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड में ही धूम मचा रहे थे अब वह जल्द ही हॉलीवुड में भी नजर आने वाले हैं। एक जबरदस्त हॉलीवुड फिल्म पंकज के हांथ लगी है।
न्यूटन, फुकरे जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लाखों दर्शकों के फेवरेट बनने वाले एक्टर पंकज त्रिपाठी को हाल ही में रणवीर सिंह की फिल्म 83 में कास्ट किया गया था। इसकी अधिकारिक घोषणा एक दिन पहले ही हुई थी। यह फिल्म भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा 1983 में जीते विश्व कप की कहानी होगी। इसमें कपिल देव का किरदार निभाएंगे रणवीर सिंह। जबकि पंकज त्रिपाठी फिल्म में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर मान सिंह का रोल निभाएंगे। पंकज त्रिपाठी इस फिल्म का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं। फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है। पंकज त्रिपाठी अब हॉलीवुड एक्टर Chris Hemsworth के साथ फिल्म ‘ढाका’ में नजर आएंगे। срочный займ на карту
Leave a Reply