औरंगाबाद में ट्रैक पर 16 मजदूरो की मौत की न्यूज़ से जुड़े जनता के प्रश्नों के उत्तर!
लॉकडाउन ने पूरे देश मे हाहाकार मचा रखा हैं। भले हीं यह सरकार की तरफ से उठाया गया एक उचित कदम मना जाता हैं। लेकिन इसमें कोई भी इंसान, कुछ भी कदम उठा रहा हैं। लेकिन आज हम उन लोगो के सवालों का जवाब देने आए हैं। जिन्हे एक बर भी यह पूछते हुए शर्म नहीं आती कि वह मजदूर पटरी के हीं रास्ते से क्यों गए? क्या उनको ट्रैन कि आवाज़ नहीं आयी? पटरी पर कौन सोता हैं? इत्यादि।
उन्हें रेल गाड़ी की आवाज़ क्यों नहीं सुनाई दी?
हम आपसे यह सवाल पूछना चाहते हैं कि जब आप दिन भर के बाद ऑफिस से थक कर अपने घर आते हैं। तब आपके मन मे पहला विचार क्या आता हैं। यही ना कि जितनी जल्दी हो सके उतना जल्दी आराम करें। और जब आप एकदम थक हार के चूर होकर सोते हैं, तो क्या आपको किसी भी तरीके की आवाज़ सुनाई देती हैं? अपने आप से पूछिए आपको इस प्रश्न का जवाब मिल जाएगा।
वह पटरी पर हीं क्यों सोये??
अमीर इंसानों की तरह उनके पास सोने के लिए कोई छत नहीं थी। कोई होटल नहीं खुला था और ना हीं कोई किवाड़। अब आप हीं बताइये वह कहाँ जाते? कोई भी इंसान इतना मुर्ख नहीं होगा सर के ऊपर धूप होने के बावजूद भी आराम से सो जाए। लेकिन इंसान की थकान और हालात दोने हीं उसे ऐसा करने पर मजबूर कर देते है।
पटरी के रास्ते से हीं क्यों गए?
आप हीं बता दीजिये कि वह अन्य किस रास्ते से जाते? आखिर वह हैं तो गरीब मजदूर हीं ना। यह क्यों भूल जाते हैं आप कि ना हीं उनके पास किसी तरीके का साधन, ना पैसे, ना हीं कुछ खाने को था। अब इस हालात मे अगर वह सड़क के रास्ते जाते तो उनको पुलिस से बेवजह डंडे हीं पड़ते।
इसी समय क्यों गए घर, रुक भी तो सकते थे ना?
वह इस हालात मे इसीलिए गए घर क्योकि ना हीं उनके पास कोई छत थी, ना हीं खाने का ज़्यादा समान था। उधर बीवी, बच्चे, माँ इत्यादि अलग परेशान हो रहे थे।। रही बात सरकार की सहायता पहुंचाने कि तो यह बात तो आप भी जानते हैं की उनकी सुविधाएं कैसी होती हैं।
एक माँ- बाप इतने पागल भी नहीं होंगे की अपनी छोटी सी जान को जो सिर्फ 2-3 साल की हैं। उसे सेकड़ो किलोमीटर नंगे पैर अपने साथ पैदल चला कर ले जाए।
जिस समय हमें उनके मारने का दुख बनाना चाहिए था। उस समय हम उन्हें गलियां दे रहे थे। क्या अलग था उनमे वह भी तो एक इंसान हीं थे, उनका भी एक परिवार था। बस अंतर तो इतना हीं था कि हम घर मे बैठ कर आराम से कूलर या ऐ.सी मे खाना खा रहे हैं और वह बिचारे इस तपती गर्मी मे, बिना कुछ खाये पिए अपने लिए एक छत ढूंढ रहे थे। परन्तु, भगवान का करिश्मा तो देखिए 16 मजदूर मर गए, एक घायल भी हुआ। परन्तु, वह दो छोटे बच्चे बच गए। buy over the counter medicines
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