राजस्थान में राजनीतिक गर्मा गर्मी है जिसमें सचिन पायलट बुरी तरह से फंस गए हैं। अशोक गहलौत फिर से जादूगर बन कर उभरे हैं। सरकार भी बचा ले गए और उनका पढ़ला भी भारी है। आखिरकार सचिन पायलट कहां पर है, जहां पानी कम था।
ज्योतिराधित्य सिंधिया उनके दोस्त हैं। दोनों दोस्तों ने मिलकर योजना बनाई थी लेकिन ज्योतिराज सिंधिया की जो बुआ है, उन्होंने उसमें टांग अड़ा दी। अब अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे का क्या समीकरण हो सकता है, उसमें सवाल है क्योंकि राजस्थान में वसुंधरा राजे अपना पैर जमाना चलाती थी। पार्टी की भी नहीं सुनती थी।
मोदी और अमित शाह का राज होने के बावजूद अध्यक्ष पद को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी, जिससे 1 साल अध्यक्ष पद का पद खाली भी रहा। अब वसुंधरा राजे को लग रहा है, 40 साल के युवा सचिन पायलट कहां जाएंगे।
सचिन पायलट को सिंधिया और उनकी बुआ वसुंधरा राजे ने डुबो दिया। स्वाभाविक है कि वसुंधरा राजे की राजस्थान में पकड़ है और कांग्रेस में भी उनके विधायक जानने वाले हैं, जिससे वह गहलोत सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से सपोर्ट भी कर रही हैं।
सचिन पायलट एक तरह से उनके राजनीतिक दुश्मन हो गए हैं। वसुंधरा राजे के जो राजनीतिक दुश्मन गहलोत थे, अब वह उनके दोस्त हो गए हैं। दूसरी तरफ सचिन पायलट कहां फंसे नजर आ रहे हैं कि वह यह उम्मीद नहीं किए थे कि उनका समीकरण 19 विधायक तक सिमट जाएगा। यहां पर उनका गणित एकदम गड़बड़ा गया एक तरफ उन्होंने खंडन कर दिया कि मैं बीजेपी में नहीं जा रहा हूं।
दूसरी तरफ कांग्रेस में वापस जाना उनके लिए नामुमकिन है क्योंकि वह इतना आगे बढ़ चुके हैं कि वह वापस चाहकर भी नहीं जा सकते इसलिए वह अब हाईकोर्ट में चले गए हैं और और अपने साथियों की सदस्यता बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कुल मिलाकर सचिन पायलट बुरी तरह फंस चुके हैं।
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