भारत में कई धर्म हैं तथा कई भगवान। उनमें से ८० प्रतिशत लोगों का एक भगवान है क्रिकेट । लेकिन क्रिकेट का भी एक भगवान है जिसका नाम है सचिन तेंदुलकर। सचिन एक ऐसे व्यक्ति का नाम है जो ना केवल भारत मैं बल्कि पूरे विश्व मैं ना केवल सराहे, बल्कि पूजे जाते है।
बचपन में जब उन्होंने पहली बार बल्ला उठाया होगा तो किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि वे ना केवल अपना अपितु क्रिकेट और भारत का नाम तथा स्तर इतना ऊँचा उठा देंगे । क्रिकेट जिसे जेंटलेमेंस गेम कहा जाता है उसे सचमुच उन्होंने अपने खेल और व्यवहार में चरितार्थ कर के दिखाया है ।
1983 में विश्व कप जीतने के बाद युवाओं के पास क़ई हीरो थे जैसे कपिल देव , सुनील गावस्कर , रवि शास्त्री , मदन लाल । लेकिन कोई भगवान नहीं था । सचिन ने ना सिर्फ़ मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर अपने आचरण से स्वयं को इस का उत्कृष्ट उदाहरण सिद्ध किया है।
आज का युवा अनुसरण करने के लिए यदि किसी को ढूँढे तो सचिन से अच्छा , सभ्य व शालीन उदाहरण मिलना कठिन है । वे न सिर्फ़ अपने सहयोगी खिलाड़ियों बल्कि मित्रों और परिवार के बीच समान रूप से प्रिय हैं । सचिन जितना सम्मान व आदर अपने से पद व आयु मैं बड़ों को देते हैं उतना ही स्नेह व सहयोग छोटों को देते हैं । इतने सीधे-सादे और सभ्य से सचिन के किस्से भी उतने ही प्रेरणादायक हैं जितना उनका खेल व जीवन ।
सचिन बचपन मैं इतने शांत नहीं थे जितने वे अब दिखते हैं । सचिन बहुत ही शरारती थे इसी से परेशान होकर परिवार ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए गुरु आचरेकर के पास छोड़ना शुरू कर दिया। इसी की वजह से हमें महान सचिन मिला।
एक बार वे अपना मैच छोड़कर किसी और को चीयर करने चले गए उन्हें वहाँ देखकर गुरु आचरेकर ने उन्हें ज़ोर से चाँटा मारा और कहा ‘तुम्हें दूसरों को चीयर नहीं करना , ऐसा खेलो की लोग तुम्हें चीयर करें।’
उस दिन के बाद सचिन ऐसे बदले की मेहनत और अनुशासन उनके जीवन के उद्देश्य बन गए जिससे उन्होंने कभी कदम पीछे नहीं हटाया और महानता का नया कीर्तिमान बनाया। इसी एकाग्रता को बनाए रखने के लिए ‘रमाकान्त आचरेकर उन्हें बिना आउट हुए पूरा सत्र ( नेट्स ) निकालने पर उन्हें एक रुपये का सिक्का देते थे ।
सचिन की सपोर्टसमेंशिप के सभी कायल हैं । हमारी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी टीम पाकिस्तान के खिलाड़ी शाहिद अफ़रीदी जब एक मैच मैं उतरे तो उनके पास सही बैट नहीं था तो उन्होंने सचिन के बात से खेलते हुए मात्र ३७ गेंदों मैं शतक पूरा किया था । यूँ ही नहीं सचिन सभी युवा खिलाड़ियों के रोल – मॉडल हैं।उनकी शर्मीली मुस्कान के पीछे एक शरारती बच्चा आज भी ज़िंदा है ।
सचिन की अपने साथी खिलाड़ियों के साथ की शरारतें इसका प्रमाण हैं, जैसे उन्होंने एक बार गांगुली के कमरे मैं पाइप छोड़ कर नल खोल दिया था। सचिन के अनगिनत किससे हैं जो उनके व्यक्तित्व के के रंग दिखाते हैं और जिन्हें कुछ शब्दों मैं सहेजना कठिन है । वे महान थे, महान हैं तथा महान रहेंगे । займ срочно без отказов и проверок