पाकिस्तान जीतने ही वाला था, की दादा की गेंदों ने कमाल कर दिया

भारतीय क्रिकेट के दादा को तो आप जानते ही होंगे हां सही पकड़े हैं आप सौरव गांगुली की बात हो रही है । उन्हें तो दादा कहां जाता है। उनके दादागिरी के तमाम किस्से तो आपने सुने ही होंगे। लेकिन आज हम आपको वह किस्सा सुनाएंगे जब उन्होंने पाकिस्तान की जीत को हार ने बदल भारत को जिताया था।

90 के दशक में दोनों देशों के बीच अच्छे खासे मैच हुआ करते थे । सिर्फ आईसीसी द्वारा कराए गए ही मैच नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच वनडे और टेस्ट सीरीज भी हुआ करती थी। यह तो अब आतंकी घटनाओं की वजह से दोनों देशों के बीच मैच नहीं होता। खैर हम आपको एक दादा की दादागिरी का किस्सा सुना रहे थे, तो चलिए…….

तारीख थी 18 सितंबर और साल 1997 । भारत और पाकिस्तान के बीच सहारा कप सीरीज खेली जा रही थी। इस दिन सीरीज का तीसरा मैच खेला जाना था। यह मैच कनाडा के टोरंटो शहर में खेला जा रहा था। इससे पहले के दो मैचों में भारत ने जीत दर्ज कर ली थी । यानी इस मैच को जितना पाकिस्तान के लिए जरूरी था। हारने का मतलब था था सिरीज़ हारना। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। पाकिस्तान की पूरी टीम तनाव में थी।

पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम रही फ्लॉफ

पाकिस्तान ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया। भारत की तरफ से ओपनिंग करने आए सौरव गांगुली और सबा करीम। शुरुआत कुछ खास नहीं रहे दादा मात्र 20 गेंदों में 2 रन बनाकर चलते बने। सचिन और द्रविड़ भी कुछ खास नहीं कर पाए। वह तो अजहरुद्दीन और रॉबिन सिंह ने किसी तरह भारत को 182 रन तक पहुंचाया। इस लो उसको को देखकर लग रहा था कि यह मैच भारत के हांथ से गया।
उस समय 200 – 220 रन ठीक-ठाक हुआ करते थे। इतने रन बनाकर सामने वाली टीम से लड़ा जा सकता था। लेकिन भारत के तो सिर्फ 182 रन ही थे। जीत के लिए सिर्फ और सिर्फ विकटों की ही दरकार थी।

गांगुली ने थामी गेंद और मचाया गदर

पाकिस्तान के लिए 182 रन का टारगेट ज्यादा कठिन नहीं था । पाकिस्तान आसानी से धीमे-धीमे करके लक्ष्य के करीब पहुंच रहा था । 18 वर्ष हो गए थे। पाकिस्तान 3 विकेट पर 103 रन बना लिए थे। यानी जीत के लिए 190 गेंदों में 80 रन चाहिए थे। सिंगल सिंगल से भी ये रन आसानी से बन जाते ।

भारतीय टीम में खलबलाहट मची थी।फिर कभी – कबार गेंदबाजी करने वाले और लंबे लंबे छक्के मारने वाले सौरव गांगुली धीमे धीमे कदमों से गेंद फेंकने आ गए । इसी तरह धीमे-धीमे फैक्ट्री फैक्ट्री दादा ने अपने कोटे के 10 ओवर फेंक डाले। जानेंगे नहीं कि इस 10 और में क्या हुआ? अरे वही हुआ जो आप सोच रहे हैं। दादा में मात्र 16 रन देकर 5 विकेट या कहीं पाकिस्तान की आधी टीम का सफाया कर दिया।
दादा ने पाकिस्तान के टॉप मोस्ट बल्लेबाज एजाज़ अहमद, सलीम मलिक, हसन रज़ा, मोईन ख़ान को पवेलियन का रास्ता दिखाया । एक समय था लग रहा था कि भारत इस मैच को दवा देगा लेकिन दादा की गेंदबाजी की बदौलत भारत ने इस मैच को 45 रनों से अपने नाम कर लिया, साथ ही सीरीज भी। पाकिस्तान जहां 103 रन पर 3 विकेट था, वहीं 148 रन पर ऑल आउट हो गया। मात्र 45 रन जोड़कर 7 विकेट गंवा दिए और मैच भी।

दादा की दादागिरी

आप आप सोच रहे होंगे कि इस मैच में मैन ऑफ द मैच कौन बना था? अरे दादा ही बने थे। बल्लेबाजी में भले ही फ्लॉफ थे लेकिन 16 रन देकर तीन विकेट तो लिए थे ना। इसलिए उनको मैन ऑफ द मैच बनाया गया। मैन ऑफ द मैच ही नहीं पांच मैचों की सीरीज में 222 रन और 15 विकेट लेकर वह तो मैन ऑफ द सीरीज भी बने थे। पाकिस्तान किस पांच मैचों की सीरीज में अंतिम वाला ही मैच जीत सका था। भारत 4-1 सिरीज़ अपने नाम की थी। वैसे आपको बताते चलें कि दादा बल्लेबाजी ही नहीं गेंदबाजी में भी मास्टर थे। उन्होंने वनडे में 100 विकेट लिए हैं ‌। और सबसे सर्वश्रेष्ठ इसी मैच में था। 16 रन देकर पांच विकेट।

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