15 लाख से 3 हजार करोड़ तक का सफ़र

नमकीन सदियों से भारतीय थाली से जुड़ा हुआ है। पूरे भारत में पापड़, सेव, दालमोट, भुजिया, चिप्स और न जाने कितने रूपों में नमकीन भारतीयों के भोजन को स्वादिष्ट बनाता रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के  चिप्स नमकीन अच्छी मार्केटिंग के बलबूते आज हर स्टोर, दुकान, पान की गुमटी पर बिकते नजर आ जाएंगे।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए आज बहुत से देशी ब्रांड बाजार में उतर आए हैं, जैसे हल्दीराम, पारले, बालाजी वेफर्स, बिंगो(आईटीसी)। इनके अलावा एक और नाम है येलो डायमंड जिसने अपने उत्पादों से नमकीन बाज़ार में एक नई पहचान बनाई है। यह कंपनी आज 3000 हजार करोड़ से ज्यादा मूल्य की है रिसर्च के अनुसार भारतीय नमकीन बाजार 33500 करोड़ से ज्यादा का है और यह 10 प्रतिशत से ज्यादा हर वर्ष बढ़ रहा है। 

“देशी खयाल विदेशी मिट्टी में”

येलो डायमंड नमकीन व्यवसाय शुरू करने का खयाल इन्दौर के थोक कपड़े का व्यापार करने वाले परिवार में जन्में अमित कूमत को 90 के दौर में अमेरिका की लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी अपनी मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान आया था। 1992 में पढ़ाई करने के बाद भारत लौटे अमित कूमत के लिए परिस्थितियां अनुकूल न थी। अर्थव्यवस्था खस्ताहाल दौर से गुजर रही थी।

इन हालातों में अमित कूमत के पास  पुश्तैनी थोक कपड़े के व्यवसाय में अपने पिता का हाथ बँटाने लगे। अमित कहते हैं कि इससे उन्हें भारतीय बाजार और कस्टमर को समझने में मदद मिली।

कपड़े के व्यवसाय में सफलता मिली तो अमित ने कुछ नए क्षेत्रों में भी हाथ आजमाया। उन्होंने सैप ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और डाई केमिकल का व्यापार शुरू किया।  इसके अलावा डील इन केमिकल नामक एक वेबसाइट भी संचालित की। नए व्यवसायों से अमित को कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। अमित कर्ज में डूब गए। फलतः अमित कूमत को कई वर्षों  तक एक नमकीन कंपनी में काम करना पड़ा।

एक करारी शुरुआत

खराब दौर से गुजर रहे अमित अपना नमकीन व्यवसाय शुरू करना चाहते थे ऐसे में उन्हें साथ मिला भाई अपूर्व कूमत का लेकिन पूंजी अभी भी समस्या थी, इसके लिए उन्होंने अपने पारिवारिक मित्र और रियल एस्टेट कारोबारी अरविंद मेहता से 15 लाख रुपये की मदद मांगी। अरविंद मेहता ने मदद के बदले इस व्यवसाय में हिस्सेदार बनना मंजूर किया। तीनों ने मिलकर 2002-03 में प्रकाश नमकीन नाम से कंपनी बनाई। सितम्बर 2016 में कंपनी पब्लिक लिमिटेड बन गई और कंपनी का नाम बदल कर प्रताप स्नैक्स लिमिटेड कर दिया गया।

अमित कूमत ने शुरुआत चीज बाल से की जिसे वह लखनऊ से बनवा कर इन्दौर में बेचते थे यह आइडिया चल निकला, पहले साल में ही उन्हें 22 लाख का मुनाफा हुआ जो अगले साल बढकर एक करोड़ जा पहुंचा। मांग बढ़ने पर तीनों ने इन्दौर में ही चीज बाल और चिप्स बनाने की इकाई शुरू कर दी। रिंग बनाने का आइडिया मुनाफे का सौदा साबित हुआ आज येलो डायमंड नमकीन के व्यवसाय  में रिंग का बड़ा हिस्सा है। रिंग नमकीन पैकेट के अंदर मिलने वाले खिलौनों ने उसे बच्चों की पहली पसंद बना दिया है।

स्वाद जिंदगी- स्वाद ही धर्म

बहुत जल्द इन्दौर के नमकीन बाज़ार में उनके चिप्स और चीज बाल अच्छे स्वाद और गुणवत्ता के कारण हजारों  की संख्या में बिकने लगे और बाजार मे नामी गिरामी ब्रांडो जैसे पेप्सिको,  लेज, फ्रिटो को चुनौती देने लगे। वर्ष 2007 में येलो डायमंड ने चुलबुले उतारा जोकि अमेरिकी कंपनी पेप्सिको के कुरकुरे का देशी अवतार साबित हुआ।

स्वाद की बुलंदियों पर

 मात्र 3 लोगों से शुरू हुई कंपनी में आज हजारों से ज्यादा कर्मचारी हैं। और अनगिनत लोग परोक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं। कंपनी ने बांग्लादेश में भी अपना प्लांट लगाया है। कंपनी के उत्पाद कनाडा और दक्षिण पूर्व एशिया के बाज़ारो में निर्यात होते हैं। वर्ष 2017 में कंपनी बाम्बे स्टाक एक्सचेंज लिस्टेड हो गयी। कंपनी का आईपीओ तीन गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ,और कंपनी का मूल्यांकन 2700 करोड़ से ज्यादा आंका गया।

अगस्त 2018 में येलो डायमंड ने 148 करोड़ रुपये में अवध स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का अधिग्रहण कर लिया और भारत में नमकीन के सबसे बड़े बाजार गुजरात में प्रवेश कर लिया। इसी साल कंपनी ने इन्दौर में  प्योर एन स्योर फूड बाइट प्राइवेट लिमिटेड नाम की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी इकाई बनाकर मीठे सनैक्स के क्षेत्र में भी कदम रखा। इस कंपनी ने रिच फेस्ट ब्रांड से बाजार में यम पाई केक और बहुत से उत्पाद बिक्री के लिए उतारे हैं।

देश भर में फैली नौ फैक्ट्रियों से येलो डायमंड गुणवत्ता युक्त नमकीन उत्पाद देने के लिए कटिबद्ध है। इन्दौर की फैक्ट्री आठ एकड़ से ज्यादा में फैली हुई है।

2007 येलो डायमंड नमकीन की सफलता को देखते हुऐ मशहूर वेंचर फंड कंपनी सिकोइया कैपिटल ने निवेश की मंशा जाहिर की हालांकि तीनों हिस्सेदारों ने 30 मिलियन डालर के निवेश को हां कहने में 18 महीनों से ज्यादा का समय लिया। इस बड़े निवेश से कंपनी ने चिप्स बनाने की नई इकाई और आलू से रिंग्स बनाने का नया प्लांट और नमकीन बनाने की नई इकाई शुरू की। । कंपनी की टैग लाइन है – “दिलदार है हम” ।कंपनी ने अपना ब्राँड एम्बेसडर मशहूर फिल्म अभिनेता सलमान खान को बनाया है। 

इन्दौर जैसे छोटे शहर से निकल कर कंपनी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ब्रांड छवि बनाई है। 15 लाख रूपए से 30 हजार करोड़ रुपये का सफ़र अमित अपूर्व और अरविंद मेहता की मेहनत और लगन का नतीजा है।  срочный займ


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