अमेरिकी राष्ट्रपति के निशानें पर चीनी कंपनियां, वीचैट और टिक टॉक के बाद अब अलीबाबा का नंबर
जबकि भारत में टिक टॉक समेत 59 चाइनीस ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है, उसके बाद से अमेरिका, जापान समेत कई बड़े देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस समय चीन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर है। शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया किया कि, वह चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने की दिशा में काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के निशाने पर चीन की बड़ी दिग्गज आईटी कंपनी अलीबाबा है।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिक टॉक की पैरंट कंपनी बाईटडांस से साफ-साफ कहा था कि, वह 90 दिनों के अंदर, टिक टॉक को अमेरिका के किसी बड़ी कंपनी के हाथों बेच दें।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में या बात कर बोली थी कि चीनी कंपनियों से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसीलिए पिछले हफ्ते डोनाल्ड ट्रंप में वीचैट और टिक टॉक के मालिकों से कोई भी समझौता करने को प्रतिबंध लगाया था। इसके पीछे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तर्क दिया था कि वीचैट और टिक टॉक से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को ख़तरा है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि, राष्ट्रपति तुरंत में टिक टॉक को लेकर जो आदेश दिया है, उसका सही-सही क्या मतलब है। अमेरिका में टिक टॉक नजर की बात करें तो अमेरिका में करीब 10 करोड़ टिक-टॉक यूजर हैं।
माइक्रोसॉफ्ट से चल रही है बातचीत
अमेरिका की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट टिक टॉक को खरीद सकती है। इसी को लेकर माइक्रोसॉफ्ट की बाईटडांसर बातचीत चल रही है। अगर 15, सितंबर से पहले टिक टॉक को कोई नहीं खरीदा तो शायद अमेरिका की किताब को बैन कर दे। क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में 15, सितंबर तक की समय सीमा निर्धारित कर दी है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने 45 दिनों के अंदर टिक टॉक और वीचैट ना खरीदे जाने पर, अमेरिका में इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने को लेकर हस्ताक्षर भी कर दिए थे।
चारों तरफ से घिर चुका है, चीन
अपने विस्तारवाद को बढ़ावा देने को लेकर चीन छोटे और गरीब देशों की अर्थव्यवस्था में भारी-भरकम निवेश किया हुआ है। पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों में चीन भारी-भरकम निवेश किया हुआ है। चीन के नक्शे कदम पर चल कर नेपाल ने भारत से अपने रिश्ते में कड़वाहट पैदा करने का काम किया है। हालांकि चीन को पता नहीं है कि, वह अपने विस्तारवाद नीति के चलते चारों तरफ से घिर चुका है।
अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, चुनाव को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चीनी ऐप्स के खिलाफ किस प्रकार का निर्णय लेते हैं।
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