प्राकृतिक खेती के मास्टर बन फसलों के लिए की ब्रह्मास्त्र की खोज

हम सब यह बात जानते हैं कि जैविक खेती हमारे लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। वह ना केवल पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करती हैं बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ रखती है। मिट्टी के स्वस्थ होने के कारण पेड़-पौधे भी तंदुरुस्त बने रहते हैं। जो लोग ऐसी फसल का सेवन करते हैं, वो भी स्वस्थ रहते हैं। परंतु, आज के समय में देश इतना आगे बढ़ चुका है कि लोग जैविक खेती के मूल्य को भूला चुके हैं। पर आज भी हमारे देश में कुछ ऐसे लोग हैं, जो जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसी खेती में इस्तेमाल की जाने वाली खाद को बनाने की समझ ज्यादा लोगों में नहीं होती है। इसी वजह से वह मार्केट में बिकने वाली फ़र्टिलाइज़र, केमिकल्स इत्यादि का प्रयोग करते हैं। भले हीं ऐसी खेती मे समय ज़्यादा लगता हैं और खर्चा भी ज़्यादा होता हैं, परन्तु उसके गुण भी तो वैसे हीं होते हैं। इसी सन्दर्भ मे आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने जैविक खेती को अपनाने के साथ-साथ लोगों को उसके प्रति शिक्षा पहुंचाने का सफल काम शुरू कर दिया है।

गोबर से बने प्राकृतिक खेती के मास्टर

हम बात कर रहे हैं ललित कालिया की। ललित जी हिमाचल के हमीरपुर जिले में बमसन ब्लॉक के एक छोटे से गांव हरनेड़ के निवासी है। वह काफी समय से जैविक खेती कर रहे हैं। सालो से ऐसी खेती करते-करते उनको गोबर कि मूल्यता समय के साथ समझ आ चुकी है। इसीलिए वह अन्य किसान भाई-बहनों को इसके गुणों के बारे में समझाते हैं। वह इन घोल के लिये पूरे गांव मे मशहूर हैं। अगर कोई गोबर से बने घोल कि बात कर दे तो सबसे पहला नाम उन्ही का आता हैं।

फसलों का ब्रह्मस्त्र

ललित जी विभिन्न प्रकार के गाय के गोबर से बने हुए घोल मे निम्न-निम्न प्रकार की पत्तियां मिलाते हैं। जिसके साथ मिलकर हीं यह घोल तैयार होता है। इस घोल के विशेष गुण भी हैं। हाल ही में ललित जी ने ऐसे ही एक घोल को तैयार किया था। उसमें उन्होंने अमरूद, शीशम इत्यादि की पत्ती इस्तेमाल की थी। यह घोल पूरे गांव में ब्रह्मास्त्र के नाम से मशहूर है। इसका प्रयोग खास तौर पर तब किया जाता है जब फसलों पर सूंडियो का प्रकोप होता है। वह खुद इसको इस्तेमाल करने के साथ-साथ दूसरे गांव वासियों को इसकी शक्ति के बारे में समझाते हैं। अब इसके गुणों को जानने के बाद पूरा गांव इसका इस्तेमाल करता है।

धन जीवामृत की खोज

जैसे कि हमने आपको बताया था कि वह अपनी फसल की पौष्टिकता पर अधिक ध्यान देते हैं। इसके चलते उन्होंने एक ऐसे जीवामृत को तैयार किया है। जिसको छिड़कने पर उस फसल को जानवर भी नहीं खाते और साथ ही साथ वह हरी-भरी भी बनी रहती है। उन्होंने इसका नाम द्रेक अस्त्र रखा है। इस नाम के पीछे भी एक बहुत बड़ा रहस्य है। दरअसल, यह अस्त्र द्रेक पौधे की पत्तियों से बना हुआ है। इस पौधे की खासियत यह है कि इसको जानवर नहीं खा पाते हैं।

इसमें उन्होंने पांच विभिन्न प्रकार की औषधीय भरी पत्तियां भी मिलाई है। घोल बनाने के लिए उन्होंने देसी नस्ल की गाय का गोबर और मूत्र इस्तेमाल किया है। इसको इस्तेमाल करने का फायदा यह होता है कि या जिन पत्तियों पर छिड़का जाता है। उनको किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती। एक और विशेषता यह भी है कि यह कीटनाशक का भी काम करता है। इसके द्वारा 15 अलग-अलग किस्म की कीटों से फसल को बचाया जा सकता है।

किसान भाई-बहनो को सन्देश

जो किसान भाई-बहन इस समय नौकरी के लिए इर्द-गिर्द भटक रहे हैं। वह उनको अपने साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ हीं साथ में हमको विभिन्न प्रकार के घोल बनाने सिखाते हैं। उनको वह यह भी सीखाते हैं कि जितना ज्यादा हो सके वह और किसानों तक भी यह बात पहुंचाएं। अभी लॉक डाउन कि वजह से ज़्यादातर किसान बिना किसी व्यवसाय ऐसी हीं इर्द-गिर्द भटक रहे हैं। उस समय मे अगर कोई इंसान उन लोगो को रोजगार दे, तो वह उनके लिये देवता से काम नहीं होता हैं।

गाय माता के लाभ

गाय से हमें जो भी चीजे मिलती है वह बहुत ही लाभदायक होती है। चाहे वह गोबर हो, मूत्र हो या फिर दूध ही क्यों ना हो। गोबर के भी विभिन्न प्रकार के इस्तेमाल होते हैं। आप इसको कंडे की तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही उससे खाद्य बना सकते हैं और पेड़ो को पोषण पहुंचाने मे मदद कर सकते। इसके अलावा भी इसके कई इस्तेमाल होते हैं। तभी तो सब सही हीं कहते हैं गाय हमारी माता हैं hairy girls


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