इंसान अपना कर्म करता है, और फिर उस कर्म के फल का इंतज़ार करता है। कर्म का फल तो मनुष्य को सदैव मिलता है, पर हाँ कई बार इसमें समय ज्यादा लग जाता है। ऐसे में मनुष्य को चाहिए की वह धैर्य के आसान पर विराजमान हो। निराशा व हताशा किसी उचित परिणाम तक नहीं ले जाती। जब आप धैर्य खोते है, तब आपका मन अधीर होता है, और अधीर मन सही निर्णय नहीं ले सकता। धीरज साधने से मन शांत व एकाग्रचित होता है। यह हमे मुश्किल घड़ियों में सही निर्णय लेने को प्रेरित करता है। हमे धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि यह हमे उपयुक्त समय, अवसर व सफलता तक जरूर ले जाता है।
इस ही सन्दर्भ में महात्मा गौतम बुद्ध सें जुड़ा प्रसंग काफी चर्चित है, जिसमे धैर्य के महत्व को बतलाया गया है।
कथा कुछ ऐसे शुरू होती है कि एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों, अनुयायियों, के साथ एक नगर में उपदेश देने हेतु जा रहे होते हैं । उस नगर में पहुंचने से पहले वह सब एक जगह पहुंचते है जहां पाते है कि कई गड्ढे खुदे हुए है।
महात्मा बुद्ध के एक शिष्य को यह देख कर काफी हैरानी होती है । वह सोच में पड़ जाता है की इतने गड्ढे खोदने का क्या आशय है। उसने काफी विचार किया परन्तु उसे कोई उत्तर नहीं मिला तो आख़िरकार उसने अपने गुरु महात्मा बुद्ध से पूछ ही लिया कि ” हे गुरुदेव! यहाँ इन सब गड्ढो के होने का क्या अर्थ है ? कृपया इसका रहस्य बताने की कृपा करे कि किसने एक साथ इतने गड्ढे यहाँ खोदे और इस कार्य के पीछे उसका आशय क्या था ”
गौतम बुद्ध ने शिष्य को बतलाया कि यह गड्ढे किसी मनुष्य ने पानी की खोज में खोदे है। उस व्यक्ति में धैर्य की कमी थी, इसलिए उसने यह गड्ढे कई जगह पर खोदे, परन्तु उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई होगी। अगर वह धैर्य के साथ सिर्फ एक ही जगह पर खुदाई करता तो उसे अवश्य ही पानी की प्राप्ति होती, सिर्फ कुछ समय गड्ढे खोदने के बाद पानी न मिलने पर, निराशा व हताशा के कारण उसने अपनी जगह बदल ली, इस ही कारणवश उसे पानी नहीं मिल पाया।
महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों से बतलाया की “आज इस घटना से हमे यह सीख मिलती है कि कड़ी मेहनत व तपस्या के साथ-साथ धैर्य का होने भी अत्यंत आवश्यक है। अगर हमारे पास धैर्य नहीं है तो कठिन प्रयासों के बाद भी हमे सफलता प्राप्त नहीं होती। ” быстрые займы на карту