पुस्तक :हार नहीं मानूंगा
लेखक: विजय त्रिवेदी
प्रकाशन:हार्पर हिंदी
पुस्तक समीक्षा: हार नहीं मानूंगा
“हार नहीं मानूंगा” लेखक विजय त्रिवेदी की चर्चित किताबों में से एक है.पिछले दिनों इस किताब को लेकर लोगों के बीच काफी चर्चाएं हुई है.इस किताब पर लिखी है”एक अटल जीवन गाथा”. यह किताब हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष श्री अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी गई है.अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी थे.वह बीजेपी के पहले मंत्री थे जिन्हें लोगों ने खुले दिल से स्वीकारा था और उन्होंने भी अपने समय में लोगों के लिए कई अच्छे कार्य किए थे.
इस पुस्तक के लेखक एक विख्यात टीवी पत्रकार हैं जिनका नाम विजय त्रिवेदी है.विजय त्रिवेदी ने वाजपेयी जी पर पुस्तक लिखने से पहले उन्होंने वाजपेई जी के आसपास रहने वाले लोगों,पत्रकारों,नेताओं से उनके जिंदगी के हर पहलू व किस्से को इकट्ठा करने की कोशिश की.
पुस्तक का टाइटल “हार नहीं मानूंगा” उन पर एकदम सटीक बैठता है क्योंकि उन्होंने भी अपने राजनैतिक सफर में कभी हार नहीं मानी.इस किताब के जरिए लेखक ने उनसे जुड़े हुए किस्सो को पाठकों के सामने लाने की कोशिश की है.
अटल बिहारी वाजपेई का सफर जनसंघ पार्टी से शुरू हुआ था परंतु आपातकाल के पश्चात जनता पार्टी के अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण ने बड़ी भूमिका निभाई थी लेकिन यह विलय उस समय सफल नहीं हो सका और यह संगठन बिखर गया. जनसंघ का बाद में नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी रखा. इस पार्टी का स्वरूप पूर्णता बदल गया. भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने में वाजपई जी के साथ लालकृष्ण आडवाणी ने बड़ी भूमिका निभाई.
इस पुस्तक में आपको वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी के संबंधों के बारे में जानने को मिलेगा. लेखक ने इन दोनों के संबंधों को बड़ा ध्यान देकर लिखा है. लेखक ने पुस्तक में आज की भारतीय जनता पार्टी के लोगों को पिछली पीढ़ी से सीखने की सलाह भी दी है ताकि वह भी उसी निष्ठा और सत्य के साथ काम करें जिस तरह उनकी पहली पीढ़ी करती थी. इस पुस्तक में अटल बिहारी वाजपेई जी से जुड़े कई किस्से हैं. नजमा-वाजपेई का फर्स्ट लेडी सम्मेलन का किस्सा जिसने जिसमें वाजपेई जी नजमा को फर्स्ट लेडी सम्मेलन में जाने को कहते हैं और नजमा मजाक मैं कहती है कि क्या मैं वाजपई या अब्दुल कलाम जी का प्रतिनिधित्व करूंगी तो वाजपेयी जी हंसते हुए कहते हैं कि आप पूरे देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. ऐसे और भी कई किस्से पुस्तक में शामिल है
अटल बिहारी वाजपेई जी के समय पर सबसे चर्चित कांड बाबरी मस्जिद कांड भी पुस्तक में वर्णित है.बीजेपी में क्षेत्रीय पार्टियों को जोड़ने में वाजपई जी के अकेले चेहरे ने बड़ी भूमिका निभाई.अटल बिहारी वाजपेई जी ने अपने कार्यकाल में कई बड़े-बड़े निर्णय लिए. परमाणु परीक्षण, कश्मीर समस्या सुलझाने की पहल,पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश,कंधार हवाई जहाज अपरहण, ऐसी कई बड़ी घटनाएं पुस्तक में लेखक ने लिखी है.
वाजपेई जी लोगों के सामने अपनी बातें बड़ी स्पष्टता के साथ रखते थे लेकिन अगर वह किसी बात से असमर्थ है और बहुमत सहमत है तो वह उनकी बात को महत्व देते थे. गुजरात दंगों के समय नरेंद्र मोदी मुख्य मंत्री थे.वाजपई जी ने उन्हें इसके लिए कहा कि आपको राज्य की भलाई के लिए राजधर्म का अनुसरण करना चाहिए.लेकिन वाजपेई जी ने मोदी जी के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए. इस पुस्तक के जरिए पाठकों को उनके निजी जीवन के बारे में भी जानने को मिलेगा.इस पुस्तक में आपको कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे जैसे वाजपेई एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें हर दल व हर धर्म के लोग बेहद पसंद करते है क्यों?
अगर आप भारतीय लोकतंत्र को करीब से जानना चाहते हैं तो यह आपके लिए उपयोगी साबित होगी. लेखक ने हर पहलू को बड़ी संजीदगी के साथ पाठकों के सामने रखा है. सहज-सरल भाषा का प्रयोग है. अगर पाठकों को राजनीति में दिलचस्पी ना हो तो यह पुस्तक उन्हें थोड़ी पकाऊ लग सकती है लेकिन अगर राजनीति में दिलचस्पी है तो यह आपके लिए बिल्कुल सही पुस्तक है.