जीवन में सही व अच्छी आदते आपकी सोच, व्यक्तित्व, लोगो का आपके प्रति नज़रिया, सम्मान सब बदल सकते है। छोटी से छोटी सही और उचित आदत बड़ी सहायक सिद्ध हो सकती है। यही आदते आपका उसूल बन जाती है, जो आपके व्यक्तित्व को निखारती है। आज हम एक ऐसी कथा के बारे में बात करेंगे जहां से हमे सीख मिलती है कि कोई छोटी सी आदत भी आपकी सोच, व लोगो का आपके प्रति नज़रिया बदल सकती है।
कहानी कुछ यूँ शुरू होती है कि दो बहुत घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे माधव और केशव । दोनों बचपन में एक साथ, एक ही विद्यालय में जाया करते थे। शाम को साथ एक साथ खेला करते थे। भाइयों की तरह रहते थे, परन्तु जिंदगी के चक्र के अनुसार पढाई पूरी होने के बाद दोनों अपने भविष्य का निर्माण करने अलग अलग रास्तो पर चल दिए। माधव काफी मेहनती था, उसने अपने जीवन में परिश्रम का साथ अपनाया और जीवन का सुखद निर्माण किया। उसने अच्छी नौकरी पायी और काफी पैसे व मान सम्मान कमाया। उसी जगह दूसरे दोस्त, केशव ने अपने जीवन में आलस्य का साथ चुना। इसके परिणाम स्वरुप उसे दरिद्रता, गरीबी, निरादर प्राप्त हुआ।
एक बार माधव ने सोचा की चलो अपने पुराने दोस्त से मिलने जाया जाए। बड़ी ही मेहनत मशक्कत के बाद किसी तरह अपने दोस्त का पता ढूंढ़ते हुए वह उसके पास पंहुचा और क्या देखता है कि उसका मित्र काफी गरीब है, उसका छोटे से घर की हालत काफी खराब है, उसने अपने घर की साफ सफाई भी ढंग से नहीं कर रखी होती है। केशव माधव को देख कर चकित रह गया और काफी खुश भी होता है । बैठने के लिए केशव, माधव को कुर्सी देता है लेकिन वह काफी गन्दी होती है।
इस पर माधव मजबूरन उससे पूछ पड़ता है कि ” केशव ! यह क्या तरीका है, तुम अपना घर इतना गन्दा क्यों रखते हो?”
केशव कहता है ” भाई ! मैं बहुत गरीब हूँ, अब सब कुछ ऐसा हाल ही है मेरा, क्या बताऊं ”
माधव उससे कहता है कि “गरीबी और सफाई आपस में पर्याय नहीं होते है। हाँ, माना तुम्हारे पास धन की कमी है परन्तु सफाई तो की ही जा सकती है घर की ”
इस पर केशव कहता है कि ” यार सफाई करके क्या फायदा, कुछ समय बाद वापिस सब वैसा गन्दा ही हो जायेगा”
माधव उसे काफी समझता है पर वो नहीं मानता।
अंत में जाते समय माधव, केशव को एक बहुत सुन्दर का गुलदस्ता दे कर गया। केशव उसे ले कर काफी खुश था। केशव ने वह गुलदस्ता अलमारी के ऊपर रख दिया, और जब भी कोई उसके घर आता तो केशव सभी को गुलदस्ता दिखाना नहीं भूलता। लोग केशव से कहने लगे कि गुलदस्ता इतना सुन्दर है लेकिन वो जिस अलमारी पर रखा है वह कितनी गन्दी है।
कई बार यही सुन कर केशव ने एक दिन अलमारी साफ़ कर दी। अब जब लोग उसके घर आते तो कहते की वह गुलदस्ता तो कितना साफ़ है और अलमारी भी पर वह घर के जिस कोने में रखी है वह जगह कितनी गंदी है। तंग आ कर केशव ने वह जगह भी साफ़ कर दी। फिर जब लोग आये तो कहने लगे की वह घर का कोना कितना साफ़ है, हम तो वही बैठेंगे, बाकी घर तो काफी गन्दा है। लोगो के ताने सुन सुन कर केशव ने घर को भी साफ़ कर दिया।
धीरे धीरे उसकी सोच बदली और उसे सफाई पसंद आने लगी। दोबारा एक बार माधव, केशव के घर आया तो घर की सफाई देख कर हैरान रह गया। यह वही छोटा घर था परन्तु बहुत साफ़। माधव ने केशव से पूछा यह सब कैसे हुए तो वह बोला “भाई ! सब तुम्हारे गुलदस्ते का कमाल है” यह कहकर केशव ने माधव को गले लगा लिया। займ срочно без отказов и проверок