कोरोना बीमारी से आज पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है। लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आने से काल का ग्रास बन चुके हैं। इस महामारी से बचने के लिए लोग सामाजिक दूरी को अपना रहे हैं क्योंकि अभी तक इस बीमारी की कोई दवा या टीका खोजा नहीं जा सका है। लोग एक दूसरे के पास जाने से बच रहे हैं। लाॅकडाउन के पहले चरण में जब यातायात के साधन बंद कर दिए गए तो लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी।
कई जगह पर यह देखने में आया है कि लोग कोरोना पीड़ित या क्वारनटाइन व्यक्ति के भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हैं। लोग उनके पास जाने से बचते हैं। ऐसे हालात में भी कुछ लोग जरूरतमंद लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आए। पिछले दो-तीन महीनों में देश के कोने-कोने से ऐसी कई प्रेरक कहानियां सुनने को मिलीं। आज हम ऐसी ही एक कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें एक साधारण व्यक्ति ने अपने दायरे से बाहर निकल निस्वार्थ भाव से मानवता की सच्ची सेवा की है।
बुरे दौर में लोगों की मदद को आगे आए
यह व्यक्ति हैं पूर्वोत्तर भारत के खूबसूरत राज्य मिजोरम के निवासी इज़रायल लालरेमथांगा जोकि एक बैपटिस्ट चर्च के पादरी हैं। वो कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों तथा क्वारनटाइन से बाहर आए लोगों को अपनी कार से उनके घरों तक पहुँचाते हैं। इस नेक काम के लिए वे किसी से एक पैसा भी नहीं लेते।
इज़रायल लालरेमथांगा बताते हैं कि जब मार्च महीने में देशव्यापी लाकडाउन की घोषणा कर दी गई तब देश के अन्य राज्यों में रह रहे मिज़ोरम वासी वापिस लौटने लगे। उनके चर्च के क्षेत्र में सात गाँव आते हैं। उन्हे पता चला कि उन गाँव के लोगों को 14 दिन क्वाॅरनटाइन सेंटर लुंगलई कस्बे में बिताने के बाद अपने गाँव जोकि 35 किलोमीटर दूर था, के लिए साधन नहीं मिल रहे थे, क्योंकि सार्वजनिक यातायात पूर्णतया बंद कर दिया गया था। कई लोग ज्यादा रूपए देने को मजबूर थे। इन हालातों को देखकर मुझे लोगों की मदद करने का विचार आया।
कार को बनाया परिस्थितियों के हिसाब से
लालरेमथांगा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ लुंगलई जिले के हाॅउलांग गाँव में रहते हैं। वह बताते हैं कि यह कार उनके ससुर ने उपहार स्वरूप दी थी। लालरेमथांगा बताते हैं कि मदद करने के लिए उन्होंने अपनी कार में जरूरत के हिसाब से बदलाव किए जैसे कि आगे की एक सीट हटा दिया तथा बीच में एक परदा लगा दिया जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। हालांकि अब जबकि सभी लोग अपने घर लौट चुके हैं तब भी वे मदद के लिए तैयार हैं।
सच्ची मानवता की सेवा
लालरेमथांगा यह नेक काम किसी पुरुस्कार शोहरत या धन पाने की लालसा से नही कर रहे हैं उनका मानना है कि ईश्वर ने बुरे वक्त में जरूरतमंदों की मदद के लिए उन्हें चुना है। इसलिए वह कोरोना महामारी के दौर में जरूरतमंद लोगों की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। लालरेमथांगा बताते हैं कि लाॅकडाउन में चर्च सर्विस भी बंद कर दी गई तो उन्होने चर्च से बाहर निकल कर लोगों की मदद का बीड़ा उठाया। मुझे जरूरत मंद लोगो की मदद कर के प्रसन्नता होती है। 46 वर्षीय पादरी ने अपने इस नेक कृत्य से लोगों का दिल जीत लिया है। займы без отказа
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