कोविड-19 के प्रकोप के मद्दे नज़र प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों के महत्व को ध्यान में रखते हुए जनता के स्वास्थ्य संवर्धन के लिए आयुष मंत्रालय ने लोगों को काढ़े के उपयोग की सलाह दी है। कोरोना वायरस के खातमे के लिए जल्दी किसी दवा या टीका नहीं बनने के हालातों में आज डाक्टर और अनुसंधान कर्ता भी लोगों से अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं।
ऐसा देखा गया है कि अच्छी प्रतिरोधकता वाले लोग कोरोना वायरस से कम प्रभावित हो रहे हैं तथा उनका इस बीमारी से ठीक होने की प्रतिशतता भी अच्छी हैं। इतना ही नहीं, हॉस्पिटल में भर्ती कई कोरोना संक्रमित मरीजों को भी तुलसी, काली मिर्च, लौंग आदि से युक्त काढ़े का सेवन कराया जा रहा है। काढ़ा सामान्यतया सर्दी, खाँसी जुकाम में असरदार है।
इम्यूनिटी बढ़ाने में है कारगर
जब से आयुष्मान मंत्रालय ने प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए काढ़े के उपयोग को लाभकारी बताया है तब से कुछ लोगों ने दिन में कई कई बार काढ़ा पीना प्रारम्भ कर दिया है। परन्तु वे नही जानते कि काढ़े का ज्यादा इस्तेमाल उन्हें बीमार कर सकता है। कोरोना बीमारी से आज पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है। लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आने से काल का ग्रास बन चुके हैं।
इस महामारी से बचने के लिए लोग सामाजिक दूरी को अपना रहे हैं क्योंकि अभी तक इस बीमारी की कोई दवा या टीका खोजा नहीं जा सका है। इसलिए कोरोना के संक्रमण से बचे रहने के लिए व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिये। और इस कार्य में काढ़े का सेवन सकारात्मक रूप से फायदा भी पहुंचाता है। इसी बात को जानने के बाद कई लोगों ने दिन और रात में काढ़ा पीने को अपनी आदत में शामिल कर लिया है।
दिखते हैं ये लक्षण तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
- नाक से ख़ून आना
- मुंह में छाले होना
- पेट में ज्यादा गैस बनना
- पेशाब में जलन
- बदहज़मी होना
दिन में कई बार काढ़ा पीने वाले लोगों को पेट में जलन, आंखों में जलन, मुंह में छाले और अपच की समस्या, पेशाब मे जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। असल में काढ़े को बनाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे काली मिर्च, पीपली, अश्व गंधा, अदरक, हल्दी, सोंठ, दालचीनी और गिलोय। इन सभी चीजों की तासीर गर्म होती है।
जरूरत से ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने पर नाक से खून आना, चक्कर आना और कभी-कभी बुखार भी आ जाता है। ऐसे लक्षण दिखाई पडने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं। इसलिए इन सभी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल सुझाई गई मात्रा में तथा संतुलित तरीके से करना चाहिए। आयुर्वेद में काढ़े का प्रयोग व्यक्ति के शरीर के वात पित्त कफ जैसे गुणों की जांच करने बाद बताई गई जड़ी- बूटियों तथा विधि के अनुसार तैयार किया जाता है।
ध्यान रखें ये बातें
आयुष मंत्रालय ने दिन में दो बार ही काढ़ा पीने की सलाह दी है। चीनी का प्रयोग कम से कम मात्रा में करना चाहिए। डायबीटीस के मरीजों को चीनी के प्रयोग से बचना चाहिए। चीनी के स्थान पर शहद का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन शहद का प्रयोग कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।
उपवास में काढ़े का प्रयोग नही करना चाहिए। खाली पेट काढा पीने पर गैस अपच और जलन की शिकायत हो जाती है।
किसी भी चीज की अधिकता बुरी होती है। इसलिए हमें काढ़े का प्रयोग सीमित मात्रा में और हो सके तो आयुर्वेदाचार्य की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। hairy women