दो सिर वाले भारूंड की कहानी

आपस में द्वेष, इर्षा, फूट, घृणा, हीन भावना किसी भी जीव के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। यह भाव किसी भी प्रकार के सही परिणाम नहीं देते, इनके कारण सदैव ही हानि होती है। इन नकारत्मक भावों से जितना बचा जाये उतना ही बेहतर होता है।

इस ही बात को समझने के लिए एक छोटी सी कथा पर नज़र डालते है।

काफी समय पहले की बात है, जंगल में एक भारूंड पक्षी रहता था। वह पक्षी विचित्र था, बात दरअसल यह थी कि उसके दो सर थे लेकिन धड़ एक ही था। ऐसी स्थिति में आपस में तालमेल रखना काफ़ी ज़रूरी हो जाता है, लेकिन उन दोनों सरो में कोई तालमेल व एकता नहीं थी। दोनों सिरों में छत्तीस का आकड़ा रहता था। अगर एक किसी दिशा में सोचता था तो दूसरा उसके विपरीत दिशा में ही ध्यान देता था, दोनों में बैर था।

एक दिन भारूंड खाने की तलाश में वन में घूम रहा था। अचानक पहले सर को ज़मीन पर गिरा एक स्वादिष्ट फल नज़र आया, वह उसे खाने नीचे आ गया। पहले सर ने चोंच मारी और वह समझ गया कि यह स्वादपूर्ण एवं रसीला है, उसने कहां ” वाह ! आज तो यह फल आनंद ही आ जाएगा। काफी समय पश्चात ऐसे मीठे फल की प्राप्ति हुई है। ”

इस बात पर दूसरे सर ने भी चखने हेतु अपनी चोंच मारनी चाही, लेकिन पहले सर ने उसे रोक दिया और कहा कि ” अपनी यह चोंच दूर रखो मेरे फल से। मेने इसे खोजा है इसलिए सिर्फ मैं ही इसे खाऊंगा।”

दूसरे सर ने उसे समझाया कि ” अरे भाई ! जाना तो यह एक ही पेट में है, थोड़ा मैं भी खा लेता हूँ। वैसे भी हमे खाने के विषय पर विवाद नहीं करने चाहिए ” |

पहले सर ने जवाब दिया कि “खाने का तात्पर्य सिर्फ पेट भरने से ही नहीं होता, स्वाद भी सर्वाधिक महत्व रखता है। जीभ के स्वाद से ही पेट को भी संतुष्टि मिलती है और हाँ आज से जिसे जो भोजन मिलेगा उस पर सिर्फ उसका अधिकार होगा, दूसरा उसे खायेगा तक नहीं।”

इसके बाद पहला सर फल खाने लगा। दूसरे सर के अंदर इर्षा व द्वेष की भावना ने जन्म ले लिया था। वह अपने इस अपमान का बदला लेना चाहता था।

एक दिन जब वह भोजन की तलाश कर रहे थे, तब एका एक दूसरे सर को वन में एक चमकीला फल दिखायी दिया , वह उसे खाने हेतु ज़मीन पर आ गया। वह जैसे ही चोंच मारने वाला था पहले सर ने चेतावनी देते हुए कहां कि ” यह फल विषयुक्त है, ज़हरीला है, इसे मत खाना वरना हमारी मृत्यु हो जाएगी। ”

दूसरे सर ने कहां ” जब खुद को फल मिला था तब तो ऐसा विचार नहीं आया था मन में, कि वह ज़हरीला भी हो सकता है। मुझे पता है कि तुम नहीं चाहते कि मैं भी स्वादिष्ट फल खाऊ। याद है न कि क्या निर्णय हुआ था पिछली बार, कि जिसे जो भोजन मिलेगा उस पर सिर्फ उसका अधिकार होगा, तो बस अब मुझे यह खाने दो। ”

पहला सर उसे रोकना ही चाह रहा था कि दूसरे सर ने फल चख लिया। इससे उनके पूरे बदन में विष फैल गया और वह पक्षी तड़प तड़प कर मृत्यु को प्राप्त हो गए। इससे हमे पता चलता किस तरह एक द्वेष और इर्षा के भाव ने जीवन को हानि पहुंचाई। hairy women


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