लक्ष्य पद अडिग रहना, निरंतर उसे प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहना आपकी सफलता के गंतव्य को नज़दीक ले आता है। सफलता उसी के कदमो पर आ कर रूकती है जो अपने लक्ष्य को निर्धारित करके, उस मार्ग में आने वाली कठिनाईओ का डटकर मुकाबला, बिना रुके व थके करता है।
चलिए एक छोटी सी कथा के माध्यम से इस बात को जानने का प्रयास करे
एक नगर में एक निःसंतान राजा रहता था। उसकी आयु भी काफी हो गयी थी इसलिए वह अपने राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की खोज कर रहा था। उसने इस विषय में अपने मंत्रियो से चर्चा की। राजा के सबसे बुद्धिमान मंत्री ने राजा को बतलाया कि ” महाराज ! आप पूरे नगर में घोसणा करवा दीजिये, कि किसी भी विशेष दिन जो व्यक्ति आपसे मिलने दरबार में पहुंचेगा उसे आप राज्य का एक छोटा सा हिस्सा शासन करने लिए प्रदान करेंगे।”
इस पर बाकी सभी मंत्रियो ने आपत्ति जताई और कहने लगे कि “महाराज यह परामर्श तो बिलकुल ही गलत है, आपसे मिलने तो बहुत से लोग आएंगे और यदि सभी को हम भाग देंगे तो राज्य के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।”
तब वह बुद्धिमान मंत्री ने राजा से आग्रह किया कि वह उस पर विश्वास करे, ऐसा कुछ भी नहीं होगा। पूर्व में भी कई बार उस बुद्धिमाम मंत्री की नीतियों की वजह से राज्य पर आई हुई विपदाएं टल गयी थी, इस ही कारण महाराज ने उस मंत्री की बात मानते हुए यह एलान करवाया कि ” शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी को जो भी नगरवासी राजा से मिलने आएगा, उसे मैं अपने राज्य का एक छोटा सा हिस्सा शासन करने लिए प्रदान करूंगा।”
निश्चित दिन जब आया तब, मंत्री ने महल के बाहर एक बड़े मेले का आयोजन किया, जिसमे नृत्य, संगीत, अनेको प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन, कई प्रकार के खेल, सस्ते दामों में सामग्री, व मदिरा की महफिल के उत्कृष्ठ प्रबंध करे थे। महल के मुख्य द्वार से, राजदरबार के द्वार तक अपनी विशालकाय सेना की एक बड़ी टुकड़ी, नंगी तलवारो के साथ खड़ी की थी, जो कि काफी भयावय प्रतीत हो रही थी।
जैसे ही लोगो का आगमन शुरू हुआ, कई लोग नृत्य, संगीत देखने लगे, कई लोग मिष्ठानो और पकवानो में उलझ गए, कई लोग नाना प्रकार के खेलो का आनंद लेने लगे, कुछ सस्ती सामग्रियों की और आकर्षित हो गए व कई मदिरा पान में संलिप्त हो गए। कुछ लोग इसमें न पड़ कर महल के मुख्य द्वार पर पहुंचे पर वहाँ विशाल शस्त्र सेना की टुकड़ी को देख वापस लौट गए। सिर्फ एक ही व्यक्ति ऐसा था, जो बिना किसी व्यर्थ की चीज़ में उलझे, निडरता के साथ सेना की टुकड़ी के बीच से राजा के दरबार में पहुंच गया। उसे सामने पा कर मंत्री ने उसे सारी बतलायी कि किस प्रकार यह योग्य उत्तराधिकारी की खोज के लिए एक परीक्षा थी।
राजा ने उसे बतलाया कि “आज से तुम्हे राज्य का एक हिस्सा दिया जाता है, और तुम्हारे एक योग्य उत्तर्राधिकारी बनने कि शिक्षा प्रारम्भ की जाती है।” займы без отказа