हिंदू मान्यताओं में, गंगा नदी का स्थान देवी देवताओं के बराबर है। गंगा नदी को सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है और इसे “गंगा मैया” के नाम से भी संबोधित किया जाता है। गंगा नदी हिमालय के उत्तरी भाग में स्थित गंगोत्री से निकलकर ऋषिकेश, हरिद्वार, कानपुर, प्रयाग, तथा अन्य शहरों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गंगा नदी को जीवनदायिनी नदी के रूप में जाना जाता है क्योंकि गंगा नदी के जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, गंगा के पानी में बैक्टीरिया रोधी बैक्टीरियोफेज वायरस होता है। यह बैक्टीरिया की तादाद कम करता है, जिसके कारण गंगा का जल लंबे समय तक प्रदूषित नहीं होता। गंगा जल में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आज हम अपने दर्शकों को, एक कथा के माध्यम से गंगा नदी में स्नान के महत्व के बारे में बताना चाहेंगे।
आस्था और विश्वास के साथ गंगा में नहाने से मिलता है पुण्य
प्राचीन काल में पृथ्वी का भ्रमण करते वक्त भगवान शिव और माता पार्वती ने यह देखा कि हजारों लोग गंगा में स्नान कर रहे हैं। जिज्ञासा से माता पार्वती ने पूछा कि सभी श्रद्धालु गंगा में नहा रहे हैं परंतु, इसके बावजूद भी उनके पाप क्यों नहीं नष्ट होते? उनके जीवन से दुख दूर क्यों नहीं होता? क्या गंगा नदी ने अपना जादुई गुण खो दिया है? शिव जी ने विनम्रता से उत्तर दिया कि गंगा अभी भी पवित्र है परंतु, जो लोग इसमें नहा रहे हैं, उनका सिर्फ शरीर भीग रहा है उनकी अंतरात्मा स्वच्छ नहीं हो रही।
अगले दिन बहुत तेज बारिश होने लगी। गंगा नदी की तरफ जाने वाले मार्ग में एक गड्ढा बन गया जिसमें पानी भर गया। शिवजी एक वृद्ध का रूप धारण करके और माता पार्वती एक स्त्री के रूप में प्रकट हुई। शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि, “मैं इस गड्ढे में गिर जाऊंगा और मदद की गुहार लगा लूंगा और तुम भी मदद मांगना”। एक वृद्ध को गड्ढे में गिरे देखकर बहुत से लोग मदद करने आए परंतु, माता पार्वती ने यह शर्त रख दी कि जो व्यक्ति निष्पाप होगा वही इस वृद्ध व्यक्ति को गड्ढे से बाहर निकाल सकता है, अन्यथा व भस्म हो जाएगा। यह बात सुनने के बाद किसी ने भी मदद करने की चेष्टा नहीं दिखाई।
देखते-देखते शाम हो गई परंतु, किसी ने भी उस वृद्ध व्यक्ति की मदद नहीं की। तभी एक युवक मदद करने आगे आया। माता पार्वती ने पूछा कि, क्या तुम निष्पाप हो? क्योंकि निष्पाप व्यक्ति ही इन्हें बाहर निकाल सकता है। उस युवक ने सकारात्मकता के साथ उत्तर दिया कि, हां वह निष्पाप है, क्योंकि वह गंगा स्नान करके आया है और उसने आस्था एवं विश्वास के साथ गंगा में स्नान किया है इसलिए वह निष्पाप है। उसका उत्तर सुनने के बाद माता पार्वती और शिव जी ने उस व्यक्ति को अपने मूल स्वरूप में दर्शन दिया और उसे मनचाहा वरदान दिया।
इस कहानी से हमें यह देखने को मिलता है कि जब तक कोई व्यक्ति गंगा में, विश्वास और आस्था के साथ स्नान नहीं करता तब तक उसके पाप नहीं धुलते और उसके जीवन में दुख बना रहता है। unshaven girl
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