रतन टाटा एक ऐसा नाम जो इस देश में नहीं, पूरे विश्व में विख्यात है। उनके परिचय की आवश्यकता नहीं है, जिनकी साख, जिनका लोहा पूरा विश्व मानता है। एक ऐसा नाम, जो इतिहास में स्वर्णाक्षरो से लिखा जायेगा, और यह सिर्फ उनके एक सफल उद्योगपति होने के कारण नहीं है, बल्कि वह एक ऐसी सख्सियत है जिन्होंने सदैव अपने आप को इस मातृभूमि के सपूत के तौर पर पेश किया है।
एक ऐसा इंसान जो सफलताओं के शिखर पर पहुंच के भी ज़मीन से जुड़ा हुआ है, और इसमें कोई महानता का विषय नहीं है बल्कि सरल स्वभाव का विषय है। जब-जब इस देश को उनकी आवश्यकता पड़ी तब – तब वह मैदान में तत्पर खड़े नज़र आये है, चाहे आर्थिक मदद हो, ज़िम्मेदारिया हो, नागरिक के कर्त्तव्य के वहन का समय हो, जरूरमंदों की मदद हो, युवाओ के सपनो व उनकी मेहनत को उड़ान देना या पुरोत्साहित करना क्यों न हो, हर एक जगह उनकी कीर्ति पताका लहरा रही है। उनका सम्मान धर्म व राजनीति के ऊपर उठ चुका है।
उन्होंने यह किसी एहसान या दिखावे के लिए नहीं किया, सिर्फ और सिर्फ कर्त्तव्य समझ के किया है पर हां भले ही वह माने या नहीं एक ऋण तो अवश्य है उनका हम पर ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार पितामह भीष्म का ऋण था हस्तिनापुर पर।
खैर, आज हम उनके जीवन के एक बहुचर्चित प्रसंग पर चर्चा करेंगे जो कि उद्योग जगत से जुड़ा हुआ है। अपमान कभी-कभी हमें दुनिया के सामने खुद को साबित करने के लिए प्रेरणा प्रदान करके एक उच्च उद्देश्य साबित हो जाता हैं।
1998 में रतन टाटा की कंपनी ने टाटा इंडिका के लॉन्च के साथ यात्री कार व्यवसाय में अपना कदम रखा। हालाँकि, शायद वक़्त और नियति उनके खिलाफ थी इसलिए टाटा का यात्री कार उद्यम असफलता की ओर अग्रसर हो गया, उनकी इस व्यवसाय को मार्किट में अच्छा रेस्पोंसे नहीं मिला।
आखिर उनके सहयोगियों ने, उनके करीबियों ने उन्हें मशवरा दिया की उन्हें अब इस व्यवसाय को बेच देना चाहिए, और इस पर रतन टाटा ने भी हामि भरी। इसके बाद फोर्ड अधिकारियों ने टाटा मुख्यालय बॉम्बे हाउस में आकर उनके कार व्यवसाय में रुचि दिखाई। रतन टाटा अपने महत्वपूर्ण सहयोगियों के साथ डेट्रॉइट जहाँ फोर्ड कंपनी का मुख्यालय है वहां पहुंच गए अपनी व्यवसाय का सौदा करने। वहां उनकी मीटिंग तकरीबन 3 घंटे तक चली और इस बीच फोर्ड कंपनी के प्रतिनिधियों का व्यवहार टाटा के प्रतिनिधियों के प्रति कुछ सही नहीं लग रहा था, जैसे मानो उनकी खिल्ली उड़ाई जा रही हो।
बातो – बातो में फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड ने रतन टाटा से यह तक कह दिया कि “जिस व्यापार के विषय में आपको जानकारी ही नहीं है, उसमे आपने इतना पैसा क्यों लगा दिया। ये कंपनी खरीदकर हम आप पर एहसान कर रहे हैं।”, कई बार इंसान अपने घमंड में वह कुछ न कहने वाली बाते भी बोल जाता है।
रतन टाटा ने उस वक़्त अपमान का घूँट पी लिया, क्यूंकि इस वक़्त उनकी मजबूरी थी। उन्होंने निर्णय किया की अब वह इस व्यवसाय को नहीं बेचेंगे और इसे नई ऊर्जा के साथ दोबारा शुरू करेंगे।
मीटिंग के बाद तुरंत रतन टाटा ने वापिस लौटने का फैसला ले लिया, और पूरी यात्रा के दौरान उनके चेहरे पे एक शिकन, एक अजीब ख़ामोशी थी।
रतन टाटा ने निश्चय कर लिया था कि अब वो इस व्यवसाय को पर्वत की ऊंचाईओ तक ले कर ही जायेंगे। वह निर्णय लेते गए और उन्हें सफल बनाते गए। हालांकि, शुरुआती विफलताओं के बावजूद कंपनी की किस्मत जल्द ही नए और बेहतर इंडिका V2 के लॉन्च के साथ बदल गई, और यात्री कार व्यवसाय उत्थान की और अग्रसित होने लगा।
इस बीच, फोर्ड के जमे – जमाये महान व्यवसाय में परेशानी आने लगी थी। कार कंपनी 2008 के वित्तीय संकट से अपंग हो गई और लगभग कंगाल होने को आ गयी।
इस बार रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी के सामने उसकी लक्ज़री कार ब्रांड जैगुआर-लैंड रोवर को खरीदने का प्रस्ताव रख दिया। क्योंकि बिल फोर्ड पहले से ही काफी घाटा झेल रहे थे और उन्हें इस डील की सख्त ज़रुरत थी इसलिए उन्होंने टाटा के प्रस्ताव के लिए तुरंत हामी भर दी।
बिल फोर्ड अपने मुख्य साझेदारों व सहयोगियों के साथ बॉम्बे हाउस (बॉम्बे हाउस टाटा समूह का मुख्यालय है) पहुंचे| मीटिंग में ये तय हुआ कि जे.एल.आर. कंपनी 2.3 अरब डॉलर में टाटा समूह के अधीन होगी । इस बार बिल फोर्ड टाटा का धन्यवाद जताया और उन्होंने कहा की “आप हमारी कंपनी खरीद कर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं” |
यह बात उनकी तकरीबन 10 साल पहले की कही गयी बात से पूरणतः विपरीत थी। आज समय यह था की फोर्ड को टाटा की ज़रुरत थी।
रतन टाटा की ज़िन्दगी का ये प्रसंग कोई बदले की कहानी नहीं है, बस उनकी मेहनत, लगन और कुछ नियति के चमत्कार की बात है। यह प्रसंग आज भी कई लोगो को पुरोत्साहित करता है।
यह एक प्रकार की कहानी बन गयी है जिसे माता-पिता अपने बच्चों को एक सही उम्र में सही निर्णय लेने की उम्मीद में, एक ऐसे व्यक्तित्व जो आने वाले सभी परिस्थितियों से लड़ सके उसमे ढालने की आशा के साथ सुनाते हैं और आगे भी सुनाते रहेंगे। hairy women
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