किसानी की नई परिभाषा लिख रहा है यह नव – युवा किसान

जैसा कि हम सब जानते हैं कि, हमारा देश कृषि प्रधान देश है।  किसानों को लेकर अनेक प्रकार की खबरे आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं। ज्यादातर खबरे  किसानों के उत्पीड़न को लेकर होती हैं। यह कहीं ना कहीं सच है कि हमारे अन्न – दाताओं का हमेशा से शोषण होता आया है। कभी सुनने को मिलता है कि कर्ज न चुका पाने की वजह से किसान ने आत्महत्या कर ली। कभी सुनने को मिलता है कि किसानों की फसलों का उचित दाम नहीं मिला। हमारे अन्य दाताओं को लेकर ऐसी तमाम तरह की खबरें आए दिन सुनने को मिलती है।

धीरे-धीरे हमारे किसान भाई भी अपने आप को सक्षम बना रहे हैं। किसानी अब किसानी नहीं रही। किसानी ने एक व्यापार का रूप ले लिया है। आज हमारे देश में ऐसे कई किसान मौजूद है जो तरह-तरह की फसलों की खेती करके सैकड़ों लोगों को रोजगार तो देते ही हैं साथ ही साथ उस फसल से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी मिलता है। आज हम आपको  बिहार के नव युवा किसान की ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने किसानी के दम पर सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया है।

यह नव युवा किसान खेती से नई सफलताओं की कहानी लिख रहा है। मॉडर्न तरीके से खेती करके यह नौजवान भारत की अर्थव्यवस्था में भी अपना अहम योगदान दे रहा है। इस नवयुवक किसान का नाम है रोहित। रोहित, बिहार के हाजीपुर जिले के रहने वाले हैं, जिन्होंने खेती करके अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। खेती को रोजगार बनाया और उस रोजगार से कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

रोहित मुख्यतः तरबूज की खेती करते हैं। उनके खेती करने का तरीका एकदम मॉडर्न है। नई तकनीकी का प्रयोग करके वह तरबूज की खेती करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक रोहित करीब डेढ़ सौ एकड़ में तरबूज की खेती करते हैं। वह एक सीजन में तरबूज की खेती से करीब 40 लाख रुपए कमा लेते हैं।

रोहित की खेती करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हैं। वह अपने खेतों में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करते हैं। ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करने से पानी की बचत तो होती ही है, साथ ही साथ पानी फसलों के जड़ तक जाता है और इससे पैदावार अच्छी होती है। भारत के कृषि मंत्रालय की तरफ से इस  सिंचाई पद्धति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पद्धति का जो भी किसान प्रयोग करते हैं, उन्हें सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है।

विदेशों तक होता है तरबूजों का निर्यात

रोहित के तरबूजों का निर्यात सिर्फ भारत तक ही नहीं सीमित है। भारत के अलग-अलग राज्यों में जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में रोहित के तरबूजों का निर्यात तो होता ही है साथ ही साथ वह अपने  तरबूजों का निर्यात भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि देशों में भी करते हैं। रोहित एक सीजन में करीब 100 ट्रकों के तरबूजों का निर्यात करते हैं।

नई पीढ़ी, नई सोच

रोहित के पिता भी किसान हैं पहले वह अपने तरीके से किसानी करते थे यानी पुरानी पद्धति के आधार पर ही रोहित के पिता किसानी करते थे। जिससे उनका उत्पादन ज्यादा नहीं होता था। लेकिन रोहित ने नई तकनीकी से खेती करना शुरू किया तो उसका परिणाम बहुत अच्छा निकला। और फिर वह उसी आधार पर खेती करने लगे। ‌ रोहित हर सीजन में तरह तरह की फसलों का उत्पादन करते हैं। रोहित ज्यादातर अधिक उत्पादन के साथ मुनाफा देने वाली फसलों को खेती करने के लिए चुनते हैं।

रोहित आज हजारों नव युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। जो खेती के दम पर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं। वह नए नए युवाओं को खेती से जोड़ रहे हैं। रोहित वैज्ञानिक सोच और बाजार यानी मार्केटिंग को ध्यान में रखते हुए फसलों का उत्पादन करते हैं।

हमारा देश, हमारे किसानों भाइयों – बहनों  की वजह से ही चलता है। उन्हीं की मेहनत की से आज हम दो वक्त की रोटी खा पाते हैं। आज जो बड़ी-बड़ी कंपनियां है जो महंगे दामों पर आटा, चावल और अन्य खाद्य सामग्री मुहैया कराती हैं। कंपनियां इन सब फसलों को उगाती नहीं, वह हमारे किसानों से ही खरीद कर हमें महंगे दामों में बेचती हैं।

हमारे लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे किसानों भाई बहनों को उनके फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता  हम सबको पता है की हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का सबसे अहम योगदान होता है। लेकिन फिर भी आज हमारे किसान भाइयों -बहनों को उनका हक नहीं मिल पाता। हालांकि अब इस नए युग में नव युवा किसान किसानी की नई कहानी लिख रहे हैं। हमारे यहां नव युवा किसान बड़े बड़े विश्वविद्यालयों से पढ़ाई करके किसानी कर रहे हैं। मार्केट की अच्छी समझ, और सूझबूझ के साथ नई पीढ़ी के हमारे नव युवा किसान भाई अपनी अलग पहचान स्थापित कर रहे हैं। हमारे लिए यह गर्व की बात है !

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