इतिहास गवाह है कि समस्याएं कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ती। चाहे वह कोई स्त्री हो, पुरुष हो, जीव जंतु हो या एक बहुत बड़ा साम्राज्य या देश ही क्यों न हो। आज जब हम अपने आसपास नजर डालते हैं तो हमें अनेक प्रकार की समस्याएं दिखाई देती हैं। जातिवाद, अशिक्षा, गरीबी, भ्रष्टाचारी इत्यादि हमारे देश को खोखला कर रही हैं। इन समस्याओं से कब तक छुटकारा मिलेगा, किसी को पता नहीं। हर तरफ लूट मची हुई है। लोग परेशान हैं। गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है और अमीरों कि तिजोरी दिन प्रतिदिन भरती जा रही है।
इन सारी समस्याओं के बीच एक आम आदमी अपनी ज़िन्दगी को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश में लगा हुआ है। समस्याओं के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए सब लोग मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि ये सारी समस्याएं आधुनिक समय में जन्मी है। ये सारी समस्याएं पुराने समय से चली आ रही हैं। पुराने समय में सबसे बड़ी समस्या थी छुआछूत की। इस समस्या को खत्म करने के लिए समय समय पर अनेक लोगों ने कदम उठाए हैं। इसी से संबंधित एक कहानी बहुत प्रचलित है।
जब चैतन्य महाप्रभु ने स्वामी हरिदास को आदर दिया
चांडाल जाति से ताल्लुक रखने वाले स्वामी हरिदास एक दिन चैतन्य महाप्रभु के द्वार पर पहुंचे। उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से प्रार्थना की, मैं चांडाल जाति का हूं। शूद्र कर्म मेरा व्यवसाय है। मेरा जीवन बेकार ना हो, इसलिए कृपया मुझे गुरु मंत्र दीजिए। हरिदास की बातें सुनकर महाप्रभु ने उन्हें अंदर बुला लिया। उन्होंने कहा कि तुम प्रभु प्रेमी हो और पवित्र भी। मैं तुम्हें भवनाम और दीक्षा दूंगा। महाप्रभु ने हरिदास को भगवान की भक्ति करने का तरीका और भगवान के बारे में अनेक बातें बताई।
इसके बाद महाप्रभु ने हरिदास को प्रसाद लेने के लिए अपने पास बुलाया, लेकिन हरिदास उनके पास नहीं गए और उन्होंने दूर से ही अपना एक कपड़ा जमीन पर बिछा दिया और कहा कि महाराज आप मुझे ना छुओ। आप प्रसाद इस कपड़े पर डाल दें। मैं इसे जमीन से उठा लूंगा। अगर आपने मुझे छुआ तो आप अशुद्ध हो जाएंगे और फिर आपको इस कड़कड़ाती ठंड में फिर से स्नान करना पड़ेगा।
यह देखकर महाप्रभु आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने हरिदास की बात ना मानी और स्वयं उठकर उन्हें गले से लगा लिया। उन्होंने कहा कि तुम चांडाल जाति के जरूर हो लेकिन तुम्हारा व्यवसाय और तुम्हारी आत्मा दोनों पवित्र है। तेरी यह काया भगवान के मंदिर जितनी ही पवित्र है। यह देखकर हरिदास की आंखो में आंसू आ गए। वह महाप्रभु के स्पर्श पाकर धन्य हो गया था।
छुआछूत एक ऐसी बीमारी है जिसने हमारे समाज को कई भागों में बांट कर रख दिया है। इंसानों के मतलब के लिए बनाए गए इन नियमों और जाति वर्ग पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। सभी के साथ प्यार से रहने पर ही हमारा देश महान बन सकता है, और सारी परेशानियां दूर हो सकती है। микрозаймы онлайн