ज्ञानदेव ने ऐसे किया दुष्ट विसोबा का ह्दय परिवर्तन

एक इंसान के अंदर अनेक प्रकार की प्रवृत्तियां रहती हैं। गुस्सा, प्यार, द्वेष इत्यादि। प्रवृत्तियां समय आने पर अपने आप बाहर आ जाती है। गुस्सा आने पर हम अक्सर ऐसे कार्य कर देते है, जो हम सोच भी नहीं सकते। इससे हमारा ही नुकसान होता है और सही कार्य भी गलत हो जाता है। प्यार एक ऐसी भावना है जिसका भूखा दुनिया का हर जीव होता है, चाहे वो इंसान हो या जानवर। प्यार की भाषा एक बेजुबान को भी समझ में आती है। द्वेष की भावना की अगर बात करें तो इसकी खुशी मात्र क्षणभर की होती है। इसकी वजह से हम कुछ देर के लिए खुद को श्रेष्ठ तो मान लेते हैं, लेकिन आगे चलकर इसका खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ता है।

हमारे समाज में हर वस्तु, स्थान, इंसान और भावना के लिए एक कहानी जरूर होती है। वो कहानी कितनी सच्ची होती है, इसका तो पता नहीं पर अक्सर वो कहानियां हमें एक सच्चा पाठ पढ़ा देती हैं। द्वेष की भावना से भी संबंधित एक ऐसी ही कहानी है।

पुराने समय में आलंदी गांव में ज्ञानेश्वर, ज्ञानदेव, मुक्तादेवी, सोपान और विसोबा नाम के ब्राह्मण रहा करते थे। गांव में एक ब्राह्मण विसोबा बड़ा दुष्ट था। वह बाकी के लोगों से बहुत जलता था और हमेशा उनका बुरा सोचता था।

एक दिन मुक्ता को मांडा यानी पतली रोटी खाने का मन किया। रोटी पकाने के लिए जो बर्तन उपयोग में आता है, उसके लिए ज्ञानदेव कुम्हार के पास जाने लगा।। रास्ते में उसे विसोबा मिला। वह भी उसके साथ हो लिया। कुम्हार के पास पहुंचकर जब ज्ञानदेव ने उससे बर्तन मांगा तो विसोबा ने कुम्हार को बर्तन देने से मना कर दिया। ज्ञानदेव को खाली हाथ वापस आना पड़ा। वापस आने पर जब मुक्ता ने उससे पूछा कि अब रोटी कैसे बनेगी, तो ज्ञानदेव ने कहा कि तुम रोटी मेरी पीठ पर पका लेना।

विसोबा यह सब देखकर हंसने लगा। वह ज्ञानदेव की खिल्ली उड़ाते हुए उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। लेकिन वह चमत्कार देखकर हैरान हो गया। उसने देखा कि ज्ञानदेव की पीठ पर सच में रोटियां पक रही थी। यह चमत्कार देखकर विसोबा समझ गया कि यह सब ईश्वर की लीला है। उसने मुक्ता और ज्ञानदेव के पैर पकड़कर क्षमा मांगी। उन दोनों ने तरस खाकर उसे क्षमा कर दिया। इसके बाद से विसोबा का व्यवहार ही बदल गया। आगे चलकर वही विसोबा खच्चर के नाम से जाना जाने लगा।

सीख

इस कहानी में कितनी सच्चाई है इसका तो पता नहीं, लेकिन यह कहानी हमें एक प्रेरणा जरूर देती है। जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, हमें कभी भी किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए और ना ही किसी का बुरा सोचना चाहिए। अगर यह प्रेरणादायक कहानी आपको पसंद आई हो तो इसे और भी लोगों तक जरूर पहुंचाएं। займ онлайн


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