अधूरी पढ़ाई के बाद भी खेती से पहचान बनाने वाली सीनत की कहानी

हमारी ज़िन्दगी में अनेक तरह की परेशानियां आती हैं। कभी समाज के रूप में, कभी शिक्षा के रूप में, कभी आर्थिक परेशानी तो कभी मानसिक परेशानी। इस तरह की परेशानियां हमारे मनोबल को कमजोर कर देती हैं, और आसान काम भी मुश्किल नजर आने लगते हैं। इन सबके बावजूद उन परिस्थितियों का डटकर सामना करना, और सफलता अर्जित करना ही एक सच्चे योद्धा की पहचान होती है। आज हम एक ऐसी ही महिला योद्धा के बारे में जानेंगे जो आज के समय में प्रेरणा की स्त्रोत हैं।

सीनत, यह नाम एक पहचान और कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुका है। हम अक्सर देखते हैं कि हमारे समाज के पुरुष अनेक तरह के कार्य करते हैं। चाहे वह नौकरी हो, घर के काम हो या खेती हो। हर जगह पुरुषों को ही आगे रखा जाता है। घर की महिलाओं को सिर्फ गृहणी बना कर रख दिया जाता है। उनकी इच्छाओं का गला घोंटा जाता है। जितने मौके पुरुषों को दिए जाते हैं, उतने महिलाओं को नहीं मिल पाते। सीनत भी उन्हीं महिलाओं में से हैं, जिनको पर्याप्त मौके नहीं मिले अपने सपनों को पूरा करने के लिए।

सीनत एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनका बचपन भी परेशानियों के बीच गुजरा। पढ़ाई के प्रति लगाव रखने वाली सीनत को पढ़ने का ज्यादा मौका नहीं मिला। घर की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए कक्षा दसवीं के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। कुछ ही दिनों के बाद उनकी शादी हो गई। सीनत बताती हैं कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि शादी के बाद उनकी ज़िंदगी में ठहराव आ जाएगा। ससुराल में वो सिर्फ एक गृहणी बन कर रह गईं। उन्हें बहुत कुछ करना था, लेकिन पढ़ाई पूरी ना होने की वजह से कहीं नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर सकती थीं।

सीनत की नई शुरुआत

सीनत अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थी, लेकिन किसान परिवार से होने की वजह से उनका खेती के प्रति बहुत लगाव था। उन्होंने अपनी इसी लगाव का फायदा उठाने की ठानी। उन्होंने अपने अनुभव के दम पर खेती करने का फैसला कर लिया। वह एक ऐसा समय था जब महिलाओं को सिर्फ गृहणी बना कर रखा जाता था। ऐसे समय में समाज की बातों को नजरंदाज करके ऐसा कदम उठाना बहुत बड़ी बात थी। खुद उनके घरवाले और उनके पति भी उनके खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने अपने मन की आवाज़ को सुना और खेती में हाथ आजमाने का निश्चय कर लिया।

उन्होंने अपनी शुरुआत टमाटर की फसल उगाने से किया। इसके लिए उन्होंने स्थानीय कृषि भवन से पौधे और बीज लिए। पास में स्तिथ कृषि विद्यालय से बीस ग्रो बैग (एक प्रकार का थैला जिसमें टमाटर की फसल उगाई जाती है) लिए और उन सभी में टमाटर के पौधे लगाए। कुछ हफ्तों के बाद ही उनकी यह कोशिश रंग लाई और उन पौधों में टमाटर उगने लगे।

इसके बाद सीनत रुकी नहीं। उन्होंने अपने घर के बगीचे में सब्जियां उगाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने बगीचे में हरी मिर्च, फूलगोभी, और भिंडी लगाई। कुछ ही समय में फसल उगने लगी। अपने अनुभव का फायदा उठाकर उन्होंने खेती को ही अपना काम बना लिया, और इसका आनंद भी उठाने लगी। कुछ ही समय में उनसे प्रेरित होकर आसपास की महिलाओं ने भी खेती में हाथ आजमाने का निर्णय लिया, और उनके पास खेती के तकनीकी जानने के लिए आने लगी।

सीनत के संस्था की शुरुआत

इस दौरान सीनत के दिमाग में एक उपाय सूझा। उन्होंने आसपास की महिलाओं के साथ मिलकर ‘पेनमित्र’ नाम की एक संस्था शुरू की। उनकी इस संस्था में महिलाओं को खेती के तकनीक सिखाए जाने लगे। यह महिलाएं तकनीकी सीखने के बाद अपने घरों के बगीचे या खेतों में सब्जियां, फल उगाने लगीं। फसल आने के बाद यह महिलाएं उन फसलों को बाजार में बेच भी सकती थी या फिर अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग भी कर सकती थी। शुरुआत में महज कुछ महिलाओं के साथ शुरू की गई इस संस्था में आज 50 से ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं।

अब सीनत रुकने वाली नहीं थी। उन्होंने अपनी खेती की शुरूआत को बड़े स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया। कृषि के अपने अनुभव का विस्तार करने के लिए उन्होंने कृषि से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। इन कार्यक्रमों में उन्हें खेती से संबंधित और भी दूसरी तकनीक के बारे में जानने का मौका मिला। वह अनेक लोगों से मिली, जिन्हें खेती के बारे में अनुभव था। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। अब उन्होंने बाजारों में अपनी जैविक फसल को बेचना शुरू कर दिया।

सीनत बताती हैं, कि उन्होंने अपनी इस संस्था की शुरुआत 2015 में की थी। शुरुआत में उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि महज 5 सालों में ही उनकी इस संस्था का इतना विस्तार होगा। आज उनके इलाके में शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जहां जैविक तरीके से खेती नहीं होती होगी। उन्हें बहुत गर्व महसूस होता है कि इतने कम समय में ही उनकी संस्था ने पूरे गांव को जैविक फसल उगाने के लिए प्रेरित किया।

खेती के विस्तार

धीरे-धीरे सीनत ने यह महसूस किया कि सब्जियों और फलों की खेती तो वह अपने घरों में कर लेती हैं, लेकिन आज भी उन्हें धान और चावल बाजार से ही खरीदना पड़ता है। अब उन्होंने धान की खेती करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने पांच एकड़ जमीन लीज पर ली और उस पर धान की खेती करना शुरू कर दिया। उनकी इस शुरुआत से गांव वाले प्रेरित हुए और कई युवा भी खेती में उनकी मदद करने लगे। सीनत बताती हैं, कि धान की खेती करने के लिए अधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। इसके लिए उन्हें और भी लोगों की जरूरत थी। ऐसे समय में जब गांव के युवा खेती में उनका हाथ बंटाने के लिए राजी हुए, तो सीनत को बेहद खुशी हुई।

गांव में पानी की कमी होने के बावजूद भी सीनत और उनकी संस्था ने मिलकर धान की एक बहुत अच्छी फसल तैयार की। धान की खेती करने के लिए उनकी संस्था ने कृषि विद्यालय के विशेषज्ञों की मदद भी ली थी। उनकी संस्था की एक सदस्य निरूपमा बताती हैं कि जो लोग कई सालों से खेती कर रहे थे वह लोग भी हमारी फसल देखकर चौंक गए।

आज की स्थिति

बीते पांच वर्षों में सीनत की संस्था को महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहचाना जाने लगा। धीरे-धीरे उनकी संस्था ने कृषि कार्यक्रमों में अपने उत्पादों की प्रदर्शनी करना शुरू किया। खेती के अलावा उनकी संस्था ने नारियल के गोले और भूसी से कलाकृतियां बनाने का काम शुरू किया। लोगों ने उनकी इस पहल को बहुत ही पसंद किया। अब उनकी संस्था का लक्ष्य अपनी गतिविधियों को नारियल की खेती, मुर्गी पालन, और डेयरी फार्म के कामों में विस्तार करने का है। सीनत बताती हैं, कि शुरुआत में उन्हें अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके पति और उनके करीबी रिश्तेदार उनके खिलाफ थे। उन्हें अनेक तरह की शारीरिक प्रताड़ना भी दी गई।

खेती के साथ-साथ सीनत ने अपनी अधूरी पढ़ाई भी पूरी की। उन्होंने इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से इतिहास में स्नातक किया। आज सीनत सिर्फ अपनी संस्था की प्रमुख ही नहीं बल्कि एक कराटे विशेषज्ञ भी हैं। सीनत कहती हैं “ दुनिया में कोई भी चीज आपको अपने सपने पूरे करने से नहीं रोक सकती, ना आपका लिंग, ना उम्र और ना ही परिवार। आपको सिर्फ अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए।”

सीनत की तरह ही ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्होंने मुश्किलों की परवाह ना करके खुद की एक पहचान बनाई है। ऐसी ही महिला योद्धाओं के बारे में जानने के लिए बने रहे हमारे साथ। सीनत की यह कहानी अगर पसंद आई हो तो इसे और भी लोगों तक जरूर पहुंचाएं। साथ ही टिप्पणी करके जरूर बताएं कि, क्या आपको भी ऐसी ही किसी महिला योद्धा की कहानी प्रेरित करती है?

(Image Credit: TheBetterIndia) займ на карту онлайн


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