एक समय की बात है एक गाँव में मोहन नाम का एक युवक रहता था। उसके पिता किसान थे। उसके पिता चाहते कि बेटा खेती में हाथ बँटाऐ लेकिन मोहन को खेती करना छोटा काम लगता था, उसे लगता था कि उसका जन्म बड़े काम करने के लिए हुआ है। वह कम परिश्रम से ही बहुत सा धन कमाना चाहता था। वह दिन रात आसानी से धनवान होने के सपने देखा करता था।
एक बार उसके गाँव में एक सन्यासी आये। ग्रामवासी अपनी-अपनी समस्याओं के समाधान सन्यासी से पूछ रहे थे। मोहन भी उनके पास गया और बोला- गुरु जी मैं बहुत धनवान बनना चाहता हूँ कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मुझे कम समय में और थोड़े परिश्रम से ही अधिक लाभ मिले।
सन्यासी एक पहुंचे हुए संत थे, उन्होंने मोहन के मन की बात जान ली ,और बोले मैं तुम्हें उपाय तो बता दूँगा परन्तु पहले तुम्हें एक काम करना होगा।
मोहन बोला बताइये गुरु जी मैं अपने लक्ष्य को जल्दी प्राप्त करने के लिए आतुर हूँ।
सन्यासी बोले मेरे आश्रम के बगीचे में जाओ और उसमें से मेरे लिए सबसे सुन्दर पुष्प तोड़ कर ले आओ परन्तु मेरी एक शर्त है कि एक बार आगे बढ़ जाने पर पीछे नहीं मुड़कर पुष्प नही तोड़ना है।
मोहन जल्द ही बगीचे में था उसने देखा क्यारियाँ फूल से गुलजार हैं। उसने पहला पुष्प देखा उसे सुन्दर लगा उसने सोचा ये तो पहला पुष्प है,आगे इससे भी बढ़कर सुन्दर पुष्प होंगे, वह आगे बढ़ता गया लेकिन क्या? आगे तो पुष्प सूखे और मुरझाए हुए दिखाई दिये। उसने पीछे मुड़ना चाहा लेकिन उसे सन्यासी की पीछे न मुड़ने की शर्त याद आई, वह मन ही मन पछता रहा था। वह सोचने लगा कि पहला ही पुष्प तोड़ लेता तो शायद यह नौबत नहीं आती। वह खाली हाथ सन्यासी के पास पहुंचा। उसे खाली हाथ देखकर कर सन्यासी बोले क्या तुम्हें बगीचे में कोई भी सुन्दर पुष्प नही मिला?
मोहन दुखी मन से बोला – गुरू जी बगीचे में एक से बढ़कर एक सुन्दर पुष्प लगे थे, लेकिन मैं आपके लिए सबसे सुन्दर पुष्प लाने की अभिलाषा में अच्छे पुष्प छोड़ कर आगे बढ़ता गया लेकिन आगे जाने पर सिर्फ सूखे और मुरझाए हुए पुष्प ही थे, इसीलिए मैं खाली हाथ लौट आया। उसके मुख पर पश्चाताप का भाव था कि मुझसे इतना आसान काम भी न हुआ।
उसे दुखी देखकर सन्यासी बोले बेटे- हमारे जीवन में सफलता के अवसर भी ऐसे ही मिलते हैं, परन्तु हम उन्हें छोटा मानकर नजर अंदाज करते जाते हैं। हर बड़ी चीज की शुरुआत बहुत मामूली तरीके से होती है। हम अक्सर बड़े अवसर की तलाश में एक अच्छे और छोटे अवसर का सदुपयोग नही कर पाते हैं। किसी भी काम की सफलता के लिए हमें परिश्रम करना पड़ता है। “कोई भी अवसर छोटा या बड़ा नही होता है, हमारा परिश्रम उसे छोटा या बड़ा बनाता है। “ онлайн займы
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