अच्छा जब कोई इंसान किसी बुरी आदत की लपेट में आ जाता है तो वह साधु, संत, महात्मा की शरण में जा पहुंचता है। और वो इंसान सोचता है कि जब मैं इन महात्माओं की मीठी वाणी और सत्य वचन सुन लूंगा मेरी तो बुरी आदतें खुद-ब-खुद छूट जाएंगी। लेकिन यह उस इंसान की सिर्फ और सिर्फ गलतफहमी है। क्योंकि सिर्फ प्रवचन मात्र सुनने से ही आपकी बुरी आदतें नहीं छूटती, बल्कि उन आदतों का त्याग व्यक्ति को खुद ही करना पड़ता है।
ऐसी ही एक कथा प्रचलित है चलिए आपको वही सुनाते हैं। कथा एक शराबी की है जो शराब का आदि होता है यानी हर समय बस उसको शराब चाहिए होती है और शराब की लत छुड़ाने के लिए वह एक महात्मा के पास जा पहुंचता है। महात्मा के पास पहुंचने के बाद वह व्यक्ति कहता है, हे गुरुवर मुझे शराब की लत लग गई है मैं इसे कैसे छोड़ूं शराब ने मेरी जिंदगी को उथल -पुथल कर रख दिया है, मेरी परेशानियों को बढ़ा दिया है।
फिर आगे वाले कहता है कि मेरे मित्रों ने कहा था कि गुरुजी के प्रवचन सुनने से तुम्हारी बुरी आदतें छूट जाएंगी। तभी से मैं रोजाना आप के दरबार में आता हूं और आपके प्रवचन सुनता हूं, लेकिन उनके वचनों से अभी तक मुझे कोई लाभ नहीं हुआ क्योंकि मेरी बुरी आदतें उन प्रवचनों से नहीं छूटी, हे गुरुवर अब आप ही बताएं मैं क्या करूं? शराबी व्यक्ति की वाणी सुनने के बाद महात्मा उसे एक कमरे में ले गए।
महात्मा उस व्यक्ति को कमरे में ले जाने के बाद दरवाजा बंद कर देते हैं और उस व्यक्ति को एक लड्डू देते हैं। दीवार के एक साइड में उनकी परछाई बन जाती है। महात्मा उससे कहते हैं कि क्या तुम इस परछाई को लड्डू खिला सकते हो। वह व्यक्ति चकित हो गया और बोला यह कैसे संभव है गुरुवर! इसी का जवाब देते हुए महात्मा ने शराबी इंसान से कहा कि यही तो मैं तुम्हें कभी से समझाने का प्रयास कर रहा हूं और तुम परछाई को ही लड्डू खिलाने की कोशिश कर रहे हो, जबकि यह असंभव है। उस व्यक्ति ने कहा गुरुवर मैं समझा नहीं, महात्मा उस वक्त को समझाते हुए बताते हैं कि जिस प्रकार तुम परछाई को लड्डू नहीं खिला सकते ठीक उसी प्रकार तुम मेरे प्रवचन सुनकर बुरी आदतों को नहीं छोड़ सकते। उस इंसान ने कहा तो गुरु फिर मेरी बुरी आदतें कैसे छूटेंगीं ?
महात्मा ने बड़ी सरलता से जवाब देते हुए कहा अगर तुम्हें बुरी आदतें छोड़नी है तो तुम्हें खुद ही अपनी तरफ से प्रयास करना पड़ेगा। मेरे द्वारा सुनाए गए प्रवचनों को अपने जीवन में तुम्हें उतारना पड़ेगा। अभी मात्र शराब छोड़ने का एक ही उपाय है, वह उपाय यह है कि तुम संकल्प लो और आज से ही शराब छोड़ दो। महात्मा की बात शराबी इंसान को समझ आ गई और उसने उसी समय शराब छोड़ने का संकल्प ले लिया और कुछ दिनों में उसकी बुरी आदतें छूट गई।
तो आपने देखा कि व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों से अगर पीछा छुड़ाना है तो उसे खुद ही उन बुरी आदतों को छोड़ना पड़ता है। किसी की बात, किसी का प्रवचन सुनकर आप उन बुरी आदतों का त्याग नहीं कर सकते । बल्कि उन प्रवचनों को आप अपने जीवन में उतारें तभी असंभव होगा कि आप बुरी आदतों से मुक्ति पा सकें।