ज़रुरतमंद की सहायता, सबसे बड़ा सत्कर्म माना गया है। अगर आपको ईश्वर से इतना सामर्थ्य मिला है कि आप किसी अभावग्रस्त, भिक्षुक, या किसी की उसकी आवश्यकता अनुसार मदद करे सकते है तो इस कार्य से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। सहायता छोटी बड़ी किसी भी तरह की हो सकती है,आपकी सहायता किसी के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। आज हम इस ही विषय पर एक बहुचर्चित कथा के बारे में जानेंगे, कि अगर आपके मन में सहायता का भाव हो तो आप कोई न कोई तरीका अवश्य ढूंढ ही निकालते है।
एक बार, एक फल की दूकान पर एक ग्राहक आता है, वह दुकानदार से संतरे और सेब के भाव पूछता है, दुकानदार उसे भाव बताता है। यह भाव ग्राहक को काफी अधिक लगते है। वह दुकानदार से कहता है ” भाई ! ये भाव काफी ज्यादा है, आस पास मंडी में तो काफी कम भाव में फल मिल जाते है। ”
दुकानदार कुछ कहने ही जा रहा होता है कि अचानक से वहां एक बुजुर्ग महिला आ जाती है। वह भी दुखानदार से फलो के भाव पूछती है तो दुकानदार उसे काफी कम भाव बताता है। इस भाव को सुनते ही पहले वाला ग्राहक परेशान हो जाता है , उसे लगता की यह दुकानदार तो काफी धोखेबाज़ है, हर व्यक्ति को अलग भाव बताता है। ये इतने महंगे दाम में मेरे को फल बेच कर लूटना चाहता है। यह सोचते सोचते ग्राहक कुछ बोलने जा ही रहा होता है की दुकानदार उसे रोकते हुए चुप रहने का इशारा करता है।
जब वह बुजुर्ग महिला फल ले कर वहां से चली जाती है तब दुकानदार ग्राहक से पूछता है कि आप क्या कहना चाहते थे।
ग्राहक बोलता है कि “मैं तुम्हारी नीयत समझ गया हूँ, तुम मुझे धोखा देते हुए मुझसे अधिक पैसे ऐठना चाह रहे थे। तभी तुमने मुझे फल के भाव इतने अधिक बतलाये।”
दूकानदार बोलता है कि “ऐसा नहीं है मित्र, वह बुजुर्ग महिला काफी गरीब है व खुद्दार और स्वाभिमानी भी है। मैंने उसकी मदद करने का कई बार प्रयास किया पर वह हर प्रकार की सहायता को नकार देती है। वह यही पास में एक झोपडी में रहती है और फल लेने यहीं आती है। मैंने सोचा की उससे फल के नाम मात्र के ही पैसे लिया करूँगा इससे उसका स्वाभिमान भी रहेगा और मेरी सहायता करने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी। मात्र यही कारण था कि मैंने उसे फलो के दाम इतने कम बताए। ”
यह बात सुनकर ग्राहक का दिल भर आया, उसने दुकानदार से कहा कि ” तुम वास्तव में एक महान चरित्र व व्यक्तित्व वाले इंसान हो। आज मुझे तुमसे एक सीख मिली है कि अगर आपके मन में सहायता करने की इच्छा है तो आप कोई न कोई रास्ता तो अवश्य ही ढूंढ लेते हैं। ”
इसके बाद वह ग्राहक उस दुकानदार से फल ले कर वहां से चला गया। быстрые займы на карту
Leave a Reply