कहावत है कि सोना जितना पुराना होता है, उतना ज्यादा चमकता है। लेकिन क्या यह कहावत सिर्फ एक धातु के लिए ही है? ऐसा नहीं है, इंसानों पर भी यह बात उसी तरह लागू होती है। समय के साथ साथ इंसान की हड्डियां तो कमजोर हो जाती हैं लेकिन उसका अनुभव दिन प्रतिदिन मजबूत होता जाता है। आज हम इस बात को सिद्ध करने वाली एक ऐसी ही कहानी सुनेंगे।
राजा का फैसला
एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा हुआ करता था। वृद्ध व्यक्तियों के बारे में उस राजा की अपनी एक अलग राय थी। वह राजा वृद्ध लोगों को किसी काम का नहीं समझता था। एक दिन उसने अपने मंत्री को आदेश दिया कि उसके राज्य में जितने भी वृद्ध लोग हैं, उन सभी को मृत्युदंड दे दिया जाए। राजा का आदेश सुनकर राज्य के सभी वृद्ध व्यक्ति डर गए, और उन्होंने तुरंत ही उस राज्य को छोड़ दूसरे राज्य में चले जाने का फैसला किया।
ऐसा नहीं है कि आज के समय में वृद्ध व्यक्तियों के साथ गलत नहीं होता। आज भी उन्हें कमजोर और लाचार समझकर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया जाता है। अगर एक छोटा सा उदाहरण देखें तो देश की बसों में जो सीटें वृद्ध व्यक्तियों के लिए आरक्षित रहती है, उन सीटों पर दूसरे लोग बैठे रहते हैं। तो क्या शिक्षित होने का मतलब यह है कि आप अपने शिक्षा का सही जगह उपयोग ना करें और वृद्ध व्यक्तियों को परेशान करें?
अकाल की समस्या
कुछ ही दिनों के बाद उस राज्य में भीषण अकाल पड़ गया। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि प्रजा के खाने की व्यवस्था कैसे की जाए। तब उसी राज्य के एक गरीब लड़के ने सबकी परेशानियों को दूर किया। उसने राज्य के रास्ते पर दोनों तरफ हल चला दिए। कुछ ही दिनों के बाद रास्ते के दोनों तरफ अनाज उग आए और पूरे राज्य में खुशी की लहर दौड़ गई।
जब राजा को यह बात मालूम हुई तो उसने अपने मंत्री को आदेश दिया कि उस गरीब लड़के को दरबार में बुलाया जाए। जब लड़का दरबार में पहुंचा तो राजा ने उससे पूछा कि तुमने अनाज कैसे उगा दिए? तब उस लड़के ने बताया कि महाराज, यह उपाय मेरे नहीं बल्कि मेरे पिता के है। कुछ समय पहले जब आपने राज्य के वृद्ध व्यक्तियों को मृत्युदंड देने का आदेश दिया, तब मैंने अपने पिता को अपने घर में ही छिपा दिया था।
राजा को हुआ पछतावा
लड़के की बात सुनकर राजा ने उसके पिता को दरबार में बुलवाया। बूढ़े व्यक्ति ने राजा को बताया कि महाराज, हमारे राज्य के किसान फसल पकने के बाद खेतों से अनाज को अपने घर ले जाते थे और कुछ लोग उसे बेचने के लिए दूसरे राज्य जाया करते थे। इसी क्रम में अनाज के कुछ दाने राज्य के रास्ते के दोनों तरफ गिर जाते थे। यह बात मुझे अच्छी तरह याद थी। जब अकाल की समस्या आई तब राज्य में अनाज के दाने नहीं थे। तभी मुझे एक तरकीब सूझी।
बूढ़े व्यक्ति ने बताया कि उसने अपने बेटे से कहकर रास्ते के दोनों तरफ हल चलवा दिए, ताकि जब हिमालय का बहता हुआ पानी वहां पहुंचे तो वहां फसल उग आए। वृद्ध होने के बावजूद मुझे यह इसलिए पता है क्योंकि मुझे जीवन जीने का बहुत लंबा अनुभव है। यह सुनकर राजा को अपने आदेश पर बहुत पछतावा हुआ। उसने तुरंत ही राज्य से बाहर गए हुए सभी वृद्ध लोगों को सम्मान पूर्वक राज्य में वापस बुला लिया।
कहने को तो हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां बुजुर्गों को श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ आज हमारे देश में अनेक वृद्ध आश्रम भी हैं। अगर बुजुर्ग पूजनीय है तो देश में ऐसे वृद्धाश्रम क्यों है? हम विकास की बात तो करते हैं लेकिन शायद यह भूल जाते हैं कि एक पेड़ लंबे समय तक तभी खड़ा रह सकता जब उसकी जड़ें मजबूत हो। इंसान हो या कोई वस्तु, हमें किसी की उम्र और काबिलियत पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए। क्योंकि उनका यह अनुभव हमें बड़ी बड़ी परेशानियों से बचा सकता है। इसलिए हमे सबका सम्मान करना चाहिए। hairy women
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